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विकास के शिखर पर डीआरडीओ

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भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी (डीआरडीओ ) ने जब 19 अप्रैल 2012 को पहला अग्नि-1 का परीक्षण किया था, तब शायद ये नहीं पता रहा होगा कि 500 किमी से हम 5000 किमी तक के रेंज में भी मिसाइल तैयार कर लेंगे। आज जितने तेजी से डीआरडीओ उपग्रह और मिसाइल के क्षेत्र में विकास कर रहा है यह देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि की बात है। आज हमारे वैज्ञानिकों ने भारत को विश्व के मानचित्र पर लाकर खड़ा कर दिया, जहां से हर कोई नागरिक गर्व से कह सकता है कि हम भारतीय हैं।


RDO


मिसाइल मैन के नाम से मशहूर अब्दुल कलाम ने कहा था कि भारत कभी भी किसी देश पर आक्रमण नहीं करता, लेकिन हमारे ऊपर तमाम लोगों ने आक्रमण किया और यही हमारी कमजोरी भी है। अगर कोई देश शक्तिशाली रहेगा तो उस पर कोई आक्रमण नहीं करेगा और इसी बात को जिंदा रखने के लिए ही मिसाइल मैन ने भारत को ताकतवर बनाने की ठानी थी, इसीलिये कई प्रकार की मिसाइल बनाई गई, जिसमें अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3, अग्नि-4 के बाद अब अग्नि-5 को लांच कर दिया गया जो 5000 किमी तक मार कर सकती है।


50 टन वजन की मिसाइल 1.5 टन वजन के विस्फोटक को ले जाने की क्षमता रखता है। इस मिसाइल का सबसे बड़ा फायदा हमको ये मिलेगा कि यह पाकिस्तान और चीन के साथ ही कई देशों को अपने जद में रख लेगी, इससे हमारे दुश्मनों को कुछ हद तक काबू में रखने में सफलता मिलेगी। भारत का मज़बूत होना बहुत ही जरूरी है, जिससे कि कोई भी देश हमारे तरफ तिरछी नजर से न देख सके।


इसी कोशिश में भारत के वैज्ञानिक दिन- रात परिश्रम करके एक न एक खोज करते रहते हैं। यह इनकी देश के प्रति सच्ची ईमानदारी और निष्ठा ही कही जाएगी कि ये लोग बिना किसी मांग के अपने कामों को अंतिम लक्ष्य तक पहुचाने में लगे हुए हैं। भारतीय वैज्ञानिकों को कभी भी हड़ताल करते नहीं देखा जाता और न ही उनकी कोई मांग रहती है। ये अपने कार्य में प्रयत्नशील रहते हैं। अगर इसी प्रकार से हमारे वैज्ञानिकों की लगन बनी रही तो इतना तो तय है कि एक न एक दिन भारत विकास के शिखर पर पहुंचने में सफल होगा।

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