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26 जनवरी 1950 का दिन एक ऐसा दिन है जब भारत को एक गणतांत्रिक राष्ट्र के रूप में मान्यता दिया गया था, इसी दिन स्वतंत्र भारत के नए संविधान को लागू कर एक नए युग का सूत्रपात किया गया था। यह भारतीय जनता के लिए बहुत ही गर्व की बात थी कि देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्वतंत्र भारत के इतिहास में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गयी जो भारत के नागरिकों के लिए गौरव की बात थी और यही कारण रहा जो हम हर वर्ष तभी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाते है।जहां तक गणतंत्र दिवस के अवसर पर कार्यक्रम की बात करे तो यह मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाता है जिसमें राष्ट्रपति राष्ट्रध्वज फहराते हैं जिन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। गणतंत्र दिवस की परेड का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है जिसमें सेना और अर्द्धसैनिक बल के जवान कदम से कदम मिलाकर अपने पथ पर अग्रसर होते है। झांकियों में तरह-तरह की झांकी निकाली जाती है जिसमें हर प्रदेश की सुंदर छटा दिखती है,किसी-किसी झाँकी में नृत्यांगनाएँ नाचती-गाती सबको मंत्रमुग्ध किए चलती हैं । विभिन्न राज्य अपनी झाँकी में अपनी संस्कृति को दर्शाते हैं।इसी प्रकार से अखबारों और पत्रिकाओं में भी इससे संबंधित रिपोर्टें छपती हैं,टेलीविजन पर इसका सीधा प्रसारण किया जाता है। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र अपने महानायकों का स्मरण करता है, हजारों-लाखों लोगों की कुर्बानियों के बाद देश को आजादी मिली थी जब हम आज स्वतंत्र होकर खुले आसमान में सांस लेते है, जहां तक देश की स्वतंत्रता की बात की जाय तो इस स्वतंत्रता के लिए हजारों की संख्या में भारत माता के लाल ने प्राणों की बलि दी है जिनमें प्रमुख रूप राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस बोस आदि। भारतीय गणतंत्र इनके जीवन-मूल्यों पर ही आधारित है ,अत: इनकी रक्षा की जानी चाहिए । समय, व्यक्ति की गरिमा, विश्व बंधुत्व, सर्वधर्म-समभाव, सर्वधर्म-समभाव, धर्मनिरपेक्षता गणतंत्र के मूलतत्व हैं। इसलिए सभी भारतीयों की यह जिम्मेदारी बनती है कि अंतिम सांस तक इस गणतंत्र की रक्षा के लिए अपने को सच्चे मन से राष्ट्र को समर्पित रहे। *****************************************नीरज कुमार पाठक आईसीएआई नोएडा
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