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मां की ममता पर क्रूरता का प्रहार

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एक मां की ममता का कितना बड़ा दायरा होता है यह उस पुत्र को ही मालूम होगा जो मां की ममता को महसूस करता हो, वे नहीं बता सकते जो मां को मां की तरह सम्मान नहीं करते।आज के समय में बहुत कम ही लोग होंगे जो गाड़ी और बंगला छोड़ एक मां को प्राथमिकता दें, और वे बोले कि आज मेरे पास कुछ नही तो क्या हुआ लेकिन मेरे पास मां तो है,इस शब्द को सुन एक मां कितनी आनन्दित होती लेकिन आज के सन्तानों में जो परिवर्तन देखा जा रहा है वह चिंता का विषय जरूर है। जहां तक एक पुत्र की बात की जाय तो उसका मां के प्रति बहुत बड़ी जबाबदेही होती है लेकिन यह समझने वाले के लिए होता है, एक पुत्र की नैतिक जिम्मेदारी और उसका फर्ज बनता है कि वह अपने मां की सुरक्षा करें चाहे उसे अपनी जान क्यों ही न देना पड़े, लेकिन इस बदलते परिवेश में लोगों को क्या होता जा रहा है कि लोग उस मां के साथ ऐसी क्रूरता कर रहे है जो उसको 9 माह तक अपने गर्भ में पाला, लाखों दुखों को सहन करते हुए अपने बच्चे को इस लायक बना दिया कि वह मर्डर करने के लायक बन गया। जहां एक पुत्र को मां की सुरक्षा में रहना चाहिए आज वही पुत्र यमराज साबित हो रहे है। आज तरह-तरह के कारण और अलग-अलग प्रकार से अपनी मां की हत्या कर रहे है जो काफी दुःखद घटना है। कोई जमीन-जायदाद के लिए , तो कोई पैसे न देने के कारण, तो कोई और भी कारणों से मां की हत्या कर रहा है। यह एक गम्भीर मामला है जो समाज के लिए सोचनीय है कि आखिर अपनी ही औलाद इतनी उग्र कैसे हो जाती है जो माता-पिता को भी नहीं पहचान पा रही है। यह एक विचारणीय मामला हो गया है कि एक पुत्र अपने मां की हत्या के लिए इतना हिंसक कैसे हो रहा है? *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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