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देश के अंदर जिस रफ़्तार से फर्जी बाबा लोगों ने अपनी पैठ बनाई है यह अपने आप में आश्चर्यजनक है और चिंता करने वाला विषय भी है। चूंकि इस धंधे को शुरू करने में नाम मात्र का खर्च आता है और बाद में कमाई काफी अच्छी हो जाती है, कहने का मतलब ये है कि कम खर्चे में ज्यादा कमाई। आज स्थिति ये है कि समाज में आज फर्जी बाबा लोगों की पोल बड़े तेजी से खुल रही है ये समाज में रह रहे बाबा लोगों के लिए तो कहीं से भी सही नहीं है और इसके साथ ही समाज के लिए भी सही नहीं है, अगर इस प्रकार से बाबा लोगों के कृत्य अनैतिक रहेंगे तो यह बहुत ही शर्मनाक बात होगी। फिलहाल इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि कुछ बाबा लोगों का बाबागिरी केवल ढोंग है और उनका समाज को सुधारने का केवल नाटक है।यह लोग आध्यात्मिक शिक्षा के बहाने कुछ और ही खेल खेल रहे है जो समाज को प्रदूषित कर रहे है,लेकिन इससे सबसे बड़ी बात ये है कि लोगों में बाबा लोगों के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है। जिस समय आशाराम बापू यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार हुए उसके बाद एक तरह से बाबा लोगों की काली करतूत का एक न एक कहानी से पर्दा उठता ही जा रहा है, परत दर परत एक बाबा यौन उत्पीड़न में संलिप्त हो रहे है, इसी कड़ी में राम-रहीम, फलाहारी बाबा, वीरेंद्र दीक्षित सहित कई बाबा है जो समाज में लड़कियों और महिलाओं का बेजोड़ शोषण कर रहे है।इन फर्जी और ढोंगी बाबा की करतूत दुनिया में किसी से छिपी नहीं है।ये नहीं है कि देश में केवल बाबा ही लोग अनैतिकता पर चल रहे है इस काम में मदरसे संचालक भी कम नहीं है क्योंकि लखनऊ की कहानी फिलहाल तो यही बताती है कि बुरे कार्य करने में मदरसे भी पीछे नहीं रहने। यहां भी महिलायों के साथ असभ्य वर्ताव किया जाता है उनका शारीरिक शोषण किया जाता है। लड़कियों और महिलायों को शिक्षा के नाम पर जबरदस्ती रोक कर रखा जाता है। शिक्षा के नाम पर शोषण करना कहीं से भी उचित नहीं दिखता लेकिन ये मदरसे संचालक शिक्षा की आड़ में जो घिनौनी हरकत कर रहे है यह बिल्कुल अनैतिक है जिस पर लगाम लगना ही चाहिए, जिससे कि कुछ गंदे लोगो के वजह से जो समाज पर धब्बा लग रहा है उससे बचा जा सके। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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