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सठे शाठ्यम समाचरेत की कहावत अगर किसी के लिए बनी है तो ये पाकिस्तान पर बिल्कुल सटीक बैठती है जिसमें कहा गया है कि दुष्ट के साथ दुष्टता करना ही चाहिए। पाकिस्तान को सज्जनता की भाषा समझ में नहीं आती,उसके लिए सज्जन पुरुष कोई मायने नहीं रखता। इसको केवल दुष्टता की भाषा समझ में आती है और हम सभ्य भाषा का प्रयोग पाकिस्तान के साथ ही करते है, यह एक ऐसा मुल्क है जिसको भाईचारे का मतलब ही समझ में नहीं आता। इसी कारण यह ओछी हरकतों का त्याग नहीं कर पाता , पाक जिस प्रकार से अपने बैट सेना के सहारे भारतीय सेना पर हमले करवाता है यह बहुत ही निंदनीय है सेना वह कतई नहीं होती जो चोरी छिपे किसी पर हमला करें जैसा कि पाकिस्तान आज तक करता आया है लेकिन अब भारतीय सेना भी इसकी घटिया मानसिकता का जबाब उसी के भाषा में देने का मन बना लिया है जिसके फलस्वरूप ही सेना ने दो बार सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को तो इतना संदेश दे दिया कि हम भी किसी से कम नहीं है। भारत की संस्कृति यह कतई नहीं है कि इंसानियत और मानवता का गला घोंटा जाय लेकिन पाक को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं है वह अपनी साख और प्रतिष्ठा दोनों गवां चुका है तभी तो उसने जो व्यवहार भारतीय सेना के कमांडर कुलभूषण जादव की माता और पत्नी के साथ किया वह बहुत ही शर्मनाक है। एक सुहागन महिला के लिए मंगलसूत्र का बहुत बड़ा अहमियत होता है फिर भी पाकिस्तान इतना नीचे गिर गया कि उसने विंदी और मंगलसूत्र तक उतरवा लिया। हद तो तब हो गयी जब जूती तक उतरवा लिया और उसको वापस तक नहीं किया गया, इससे पाकिस्तान के अंदर डर का पता लगता है कि एक भारतीय महिला से कैसे हिल गए पाकिस्तान के आका। पाक का डर ही था कि वह जादव की मां को मराठी में बात तक करने से मना कर दिया गया। इन सब घटना को अगर हम एक इंसानियत की दृष्टि से देखें तो पाकिस्तान की इंसानियत की गंदी तस्वीर ही नजर आती है जिससे बात करना तो दूर इसके तरफ देखना भी पाप है,लेकिन पाक की हम बुराई तो कर सकते है लेकिन हमारे ही देश में जो पाकिस्तान के समर्थक है उनका क्या इलाज किया जाय, ये बहुत बड़ा प्रश्न है। भारत में पाकिस्तान के समर्थक बहुत है जिनको देश बढ़िया नहीं लगता, देश में डर लगता है परंतु पाकिस्तान उनको सुरक्षित लगता है।इसलिए पाकिस्तान से भी जरूरी यह है कि हम अपने से कैसे बचें। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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