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पश्चिमी मीडिया की दृष्टि में भारत

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विश्व के कुछ देशों का नजरिया भारत के प्रति बहुत ही घटिया स्तर का रहा है और वहां की मीडिया का तो कहना ही क्या, मीडिया वहां की सरकारों से भी दो कदम आगे रहती है।इसमें भी अमेरिकी मीडिया समय-समय पर कुछ न कुछ बेइज्जती करता रहता है उसकी पूर्वाग्रह से ग्रसित मानसिकता बदलने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोस्ती को प्रगाढ़ करने में लगे हुए है वही पर अमेरिकी मीडिया न्यूयॉर्क टाइम्स की घटिया सोच समय-समय पर भारत का मजाक उड़ाने और इसकी प्रतिष्ठा पर बट्टा लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा, मोदी युग शुरू होने के पहले के भारत के साथ अमेरिका के सम्बंध बहुत अच्छे नहीं थे।परंतु जबसे देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मोदी नियुक्त हुए तबसे अमेरिकी रिश्तों को मजबूती के शिखर पर पहुँचाने की पुरजोर कोशिश करते जा रहे है चाहे वह बराक ओबामा के साथ का रिश्ता हो या फिर वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ का, रिश्ता हमेशा मजबूत करने का भरसक प्रयास हुआ है, लेकिन अफ़सोस कि पश्चिमी मीडिया भारत की छवि गिराने में कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहता,चाहे वह मंगलग्रह पर उपग्रह भेजने की बात हो या फिर साड़ी पहनने की। जब भारत ने मंगल ग्रह पर अपना उपग्रह छोड़ा था तब भी न्यूयॉर्क टाइम्स ने कार्टून छाप कर भारत का मजाक बनाया था। लेकिन अब इस अमेरिकी समाचार-पत्र को साड़ी में भी हिंदू राष्ट्रवाद नजर आने लगा है। लेखक अब्दुल कादरी को यह समझ में नहीं आया कि साड़ी हो या पुरूष वर्ग के द्वारा पहने जाने वाले कुर्ता पायजामा, यह भारतीय संस्कृति का एक अहम वेशभूषा है और इसको हर भारतीय अपने शौक के अनुसार पहनता है इसमें किसी भी प्रकार से कहीं से भी हिंदू राष्ट्रवाद नहीं झलकता, इसलिए अमेरिकी मीडिया को भारत की छवि गिराने की कोशिश को बंद करके एक विकसित भारत को देखने की ज़रुरत है,क्योकिं यही भारत एक न एक दिन विश्वगुरु बन कर समाज को आइना दिखाने का काम करेगा। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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