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पाकिस्तान एक ऐसा पड़ोसी है जिसके हर बात हर काम में कुछ न कुछ खोट जरूर रहती है अगर पाकिस्तान कभी भी भारत से करता है तो भी कुछ न कुछ राज छिपा होगा तभी वो दोस्ती के तरफ हाथ बढ़ाता है।उसके हर चाल में कुछ न कुछ राज रहता ही है लेकिन भारत की सत्यता की जीत हर जगह होती है और इसका सिर हमेशा गर्व से ऊपर रहता है।अब जब इसकी कोशिश जज के वोटिंग की गणित गड़बड़ हो चुकी है तो इसको शर्मिदा होने के अलावा कुछ भी नहीं है। पाकिस्तान के नाकाम कोशिश के बावजूद भारत ने आईसीजे में अपना परचम लहरा कर फिलहाल इतना तो बता ही दिया कि सत्य और विश्वास का रास्ता हमेशा सफलता की तरफ ही जाता है। जहां तक पाकिस्तान की बात करे तो यह कभी नही चाहेगा कि भारत से कोई भी व्यक्ति आईसीजे में पहुँचे और इसके लिए वह अपने स्तर पर खूब प्रयास भी किया, लेकिन 193 देशों में से जब 183 देशों के समर्थन मिला तो पाक घुटने के बल आ गया, इसके साथ ही ब्रिटेन को भेजने का इसका सपना भी चकनाचूर हो गया। प्रतिद्वंद्वी ब्रिटेन भी अपनी हैसियत को समय से पहले भांप लिया और चुनाव से बाहर हो गया, यह ब्रिटेन के लिए बहुत बड़ी हार है क्योंकि एक अस्थायी सदस्य स्थायी सदस्य को हराकर उस सीट पर काबिज हुआ है।अंतरराष्ट्रीय न्यायलय हेग में चल रही चुनावी लड़ाई में भारत के दलवीर भंडारी ने दूसरी बार जज बन कर अपनी दावेदारी दर्ज कर लिया। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए गर्व की बात है। फिलहाल इसके पहले भी इसतीन और भारतीय इस कारनामे को कर चुके है जिनमें बेनेगल नरसिंह राऊ,नागेंद्र सिंह और रघुनंदन स्वरूप पाठक जिनका कार्यकाल क्रमशः 1952-1953, 1973-1988 और 1989-91 रहा है और अब चौथे नम्बर पर दलवीर भंडारी दूसरी पारी शुरू करने जा रहे है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है क्योकि इस सीट तक पहुँचने के लिए भारत को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि सामने का प्रतिद्वंद्वी काफी मज़बूत था, लेकिन भारत को काफी देशों का समर्थन मिलना ही अपने आप में बहुत बड़ी जीत है। इसलिए ये भारत की बहुत बड़ी कामयाबी है जिसको पाकिस्तान ने अपने छल से नहीं होने के मूड में था लेकिन भारत का दृढ़ता और आत्मविश्वास के आगे सब बेकार हो गए *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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