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अगर पूरे विश्व में ईमानदारीपूर्वक देखा जाय तो भारत जैसा देश मिलना बहुत ही मुश्किल है। यहां इतनी ज्यादा आजादी रहती है कि आय कुछ भी बोल सकते हो, बोलने की आज़ादी इतनी है कि कोई भी कभी भी कुछ बोल देता है चाहे वह देशहित में हो या न हो उसकी परवाह बोलने वालों को बिल्कुल भी नहीं रहती फिर भी कुछ लोगों को भारत में आजादी चाहिए बोलने के लिए, अब सोचने वाली बात है कि इतनी आजादी के बाद भी कौन सी बोलने की आजादी मांगते है। अभिव्यक्ति की आजादी इतनी है कि लोग राष्ट्र को भी ताक पर रखकर कुछ भी बोल देते है, इसमें भी अगर कोई राजनेता इस तरह की भाषा बोले तो बहुत ही शर्मिंदगी की बात होती है, हमारे राजनेता इतनी भी नैतिकता नहीं रखते कि जिस देश के हम निवासी है तो उसके खिलाफ तो न बोले, परन्तु ये लोग राष्ट्र विरोधी वक्तव्य देने में भी पीछे नहीं रहते। देश में ही नही ये लोग विदेश में भी जाकर राष्ट्र विरोधी बातें करते है और यहां तक बातें करते है कि सरकार गिराने तक का ठेका ले लेते है। आखिर ये राजनेता ऐसा क्यों करते है यह समझ से परे की बात है। लेकिन इतना तो अवश्य समझ में आता है कि इसका सिर्फ एक ही वजह है और वो है वोट। वोट की राजनीति चमकाने के लिये ही राजनेता कुछ भी बोलने को तैयार हो जाते है। अब जिस तरह से कांग्रेस के नेता पी. चिदंबरम ने कहा की कश्मीर को स्वायत्त कर देना चाहिए यह कहीं से भी शोभा नहीं देता। इन्होंने वास्तव में पाकिस्तान की ही जुबान बोल दिया क्योकिं पाकिस्तान भी तो यही चाहता है की कश्मीर स्वायत्त हो जाय और फिर कश्मीर पर हमला कर उसको पाकिस्तान में मिला ले।आज जिस प्रकार से राजनेता अपने घटिया स्तर की बोली जनता के सामने रख देते है वो तनिक भी नहीं सोचते है कि देशवासियों पर इसका क्या असर पड़ेगा और मेरे प्रति देशवासी क्या सोचेंगे, इस बात की चिंता न तो सलमान खुर्शीद को रहती है और न ही मणिशंकर अय्यर को और अब पी. चिंदम्बरम को। सभी राजनेता अपनी-अपनी रोटी को सेंकने मे लगे हुए है लेकिन जहां तक अगर देश के हित की बात करे तो देश की रक्षा करना सबका कर्तब्य बनता है और देशहित में सभी नेतायों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए,और ऐसा कभी नहीं बोलना चाहिए कि हमारा शत्रु तुमको मित्र समझने लगे। हर किसी को कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करना कि आने वाली पीढ़ी गाली दे और हम किंकर्तव्यविमूढ़ बन कर बैठे रहे।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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