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इस समय एक तरफ जहां सोशल मीडिया का युग चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ समाज के कुछ लोगों के अंदर से मानवता ही ख़त्म होती जा रही है। कारण वही, कोई भी किसी भी घटना पर टांग नहीं अड़ाना चाहता, जिसके कारण से अपराध बढ़ते जा रहे हैं। जिस प्रकार से लोग किसी भी घटना को रोकने की बजाय उसका वीडियो बनाने में रुचि ले रहे हैं, यह फिलहाल इसी बात की तरफ संकेत देता है।
अगर वीडियो बनाने की रुचि को छोड़ लोग उस घटना पर ध्यान केंद्रित कर किसी की जान बचाने या फिर किसी महिला की इज्ज़त बचाने का प्रयास करें, तो यह बहुत ही सुंदर कार्य हो सकता है और साहस से परिपूर्ण भी। परन्तु हमारा समाज वीडियो बनाने और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने में ज्यादा विश्वास रखता है।
मनुष्य कितना संवेदनहीन होता जा रहा है कि उसको सड़क पर गिरा व्यक्ति भी बिल्कुल दिखाई नहीं देता या फिर उसको दिखता भी है, तो वह उसे अनदेखा कर देता है। यही अनदेखा करना ही समाज की सबसे बड़ी कमी हो जाती है। अगर सभी मनुष्य के अंदर ये भावना आ जाए कि हमको हर किसी पीड़ित की मदद करनी है, तो बहुत से अपराधों को रोका भी जा सकता है।
काश! ऐसा हमारे देश में होता, तो दिल्ली के अंदर दिन-दहाड़े एक लड़की की चाकू से निर्मम हत्या को आसानी से रोका जा सकता था। वह आज इसी समाज में जिंदा होती। यही नहीं अगर खुले आम सड़क के किनारे महिला का बलात्कार होता है, तो लोग उसका वीडियो बनाने में ज्यादा व्यस्त दिखते हैं न कि उस अपराधी को पकड़कर पुलिस के हवाले करें।
इसमें थोड़ा सा भी दो-चार लोग हिम्मत कर दें, तो उस बलात्कारी को पकड़ा जा सकता है, परन्तु कोई भी आगे आना नहीं चाहता। महिला की इज्ज़त तार-तार होती रहती है और लोग वीडियो बनाते रहते हैं। ऐसी ही एक घटना हैदराबाद में हुई, जिसमें रोड के किनारे एक औरत के साथ बलात्कार होता रहा और लोग वीडियो बनाते रहे।
कितने लोग तो घटना को देखते हुए चले जाते हैं और उस तरफ देखना भी मुनासिब नहीं समझते। कम से कम इंसानियत के कारण इतना तो फर्ज बनता है कि हम किसी घटना के तरफ एक नजर तो उठा लें, लेकिन इतना भी करने में लोगों को शर्म आती है। अब सवाल सबसे बड़ा देश में यही है कि क्या हमारे देश का यही संस्कार है।
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