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देश के अंदर राष्ट्रगान के समय खड़े होने के लिए भी आज लोग बहस कर रहे हैं, जबकि इस मामले में बहस का कोई औचित्य ही नहीं बनता। एक सच्चा देशभक्त नागरिक अगर है, तो उसके अंदर ये गुण होना ही चाहिए कि जब राष्ट्रगान हो रहा है, तब मैं उसके सम्मान में खड़ा हो जाऊं। अब इसके लिए भी सुप्रीमकोर्ट या केंद्र सरकार कोई नियम थोड़े ही बनाएगी कि राष्ट्रगान के समय खड़ा होना चाहिए या नहीं और अगर ऐसा हो रहा है तो यह सभी देशवासियों के लिए शर्म की बात है।
यह राष्ट्रगान किसी भी धर्म, जाति का नहीं है, यह मात्र एक देश का गान है और वह है अपना प्यारा हिंदुस्तान। जन-गण-मन गाने का सिर्फ एक मकसद है कि हम सभी भारतीय सिर्फ एक राष्ट्र के हैं। इसको गाने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं होना चाहिए। बड़ी अजीब बात है कि लोग सिम लेने के लिए, दारू लेने के लिए, दवा लेने के लिए या अन्य बहुत सी सुविधाओं को उठाने के लिए घंटों लाइन में तो लग जाते हैं, परंतु मात्र 52 सेकेंड के इस गान के लिए खड़े होने में बहुत बड़ी समस्या आ रही है।
काश! अगर इस तरह की सोच (सरदार भगत, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल आदि तमाम भारत के लाल) रखते तो फिर देश आज़ाद नहीं होता। अगर इतनी छोटी सोच इन शहीद वीरों की होती या फिर ये कोर्ट का इंतजार करते कि कोर्ट के कहने पर ही हम भारत माता को आज़ाद करवाएंगे, तो आज भी देश गुलाम ही रहता। ये बहुत ही कष्टप्रद बात है कि आज लोगों को राष्ट्रगान के समय खड़े होने के लिए कोर्ट को कहना पड़ रहा है। अब इतनी भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं होनी चाहिए कि लोगों को यह कहना पड़े की पिताजी को प्रणाम करो।
काश! देश के कुछ लोग राजनीति करने की बजाय राष्ट्रगान गाने और उसके सम्मान में खड़े होने के लिए 52 सेकंड दे पाते। आज के समय में राजनीति करने का स्तर भी बहुत ही गंदा हो गया है, जिसमें लोग राष्ट्र को ताख पर रख देते हैं और अपने स्वार्थ के अनुरूप काम करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी सिनेमाघरों के लिए यह आदेश दिया कि शो शुरू होने के पहले लोगों को राष्ट्रगान से पहले खड़ा होना होगा, तो देश के कुछ नागरिकों के लिए मानो पहाड़ गिर गया, उनके पैरों में इतनी जान नहीं है कि वे राष्ट्रगान के 52 सेकंड को राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव दिखा सकें।
इसी 52 सेकंड के लिए देश दो भागों में बंट गया है। एक वर्ग राष्ट्रगान के समय सच्चे मन से खड़े होने को है, तो वहीं पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको 52 सेकेंड खड़े होने में भी तकलीफ महसूस हो रही है। इस तरह एक सवाल मन में आता है कि क्या हम 52 सेकंड के लिए खड़े नहीं हो सकते हैं।
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