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देश के किसी भी शहर में सड़क जाम एक आम बात हो गयी है, जिस भी बाजार, कस्बे या शहर को देखा जाय वहां सड़क पर जाम दिख जाता है। लोग परेशान होकर अंततः दुखी हो जाते हैं और प्रशासन को कोस कर रह जाते हैं। जबकि अगर देखा जाय तो पहले के अपेक्षाकृत सड़कों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, उनकी लम्बाई को भी काफी बढ़ा दिया गया है, फिर भी जाम की समस्या से निजात नहीं मिल रही है।
पुरानी सड़कों को पहले की अपेक्षा चौड़ा भी किया गया और जो नई बन रही हैं उनको भी चौड़ा ही बनाया जा रहा है, परन्तु फिर भी सड़क जाम से छुटकारा नहीं मिल रहा है। देश के अंदर कोई भी त्योहार मनाया जाता हो उस दौरान जाम की समस्या से जूझना भारत के नागरिकों का परम कर्तव्य हो गया है। जाम लगने का अगर हम कारण देखें, तो मुख्य कारण हमारे सिस्टम की लापरवाही ही दिखती है, जिसमें नियमों का पालन नहीं करवाया जाता और कुछ पैसे लेकर नियमों की धज्जियां उड़वा दी जाती हैं।
आज रोड के किनारे दुकानदारों के द्वारा बेतहासा अतिक्रमण करना भी जाम का मुख्य कारण बनता है और इस अतिक्रमण के कारण सड़कों पर जगह ही नहीं बचती आने-जाने वालों के लिए। जो जगह बच भी जाती है, उस पर चार पहिये का अतिक्रमण हो जाता है। इन गाड़ियों के अतिक्रमण के कारण भीषण जाम लग जाता है, जिसके कारण पूरी तरह से यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है।
इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अगर एक-दो ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी हैं भी, तो वे अकेले क्या करेंगे। उनके बस की बात नहीं होती और वे भी असहाय होकर देखते रहते हैं कि इस भीड़ को कैसे नियंत्रित किया जाय। क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प भी नहीं दिखता, तो मज़बूरन गाड़ियां रेंगने लगती हैं, जिसके कारण कितना ईंधन बर्बाद हो जाता है।
इन सब बातों पर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे कि जाम न लगने पाएं और बिना अवरोध के गाड़ियां रफ्तार भर सकें। सड़क पर जाम की समस्या राष्ट्रीय बनती जा रही है, इसको हरहाल में रोकना ही पड़ेगा। क्योंकि आने वाले समय में यह स्थिति और भी विस्फोटक हो सकती है, जब घण्टों जाम लगा ही रहता है और लोग इस जाम से झल्ला भी जाते हैं।
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