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स्कूल हो या कोई सामाजिक स्थान, हर स्थान पर छात्राओं की जहां तक सुरक्षा की बात करें तो यह बहुत ही शर्मिंदगीपूर्ण बात है कि लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं रह पा रही है। हर जगह, हर समय उनको एक डर सताता रहता है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाय। आज ये बहुत ही आवश्यक है कि सरकार सभी लड़कियों की सुरक्षा को लेकर गम्भीर हो, जिससे कि इनके अंदर के डर को निकाला जा सके।
आज समाज में अराजक तत्वों की मौजूदगी रहती है, जिसको लेकर छात्राएं सतर्क तो रहती हैं, फिर भी कोई न कोई इन अराजक लोगों के हाथ में फंस ही जाती है। लाख सतर्कता के बाद भी स्कूल, कालेजों या अन्य जगहों पर जिस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं, उससे सुरक्षा के नाम पर प्रश्न चिन्ह खड़े होते रहते हैं।
यह हमारे पुरुष प्रधान समाज के लिए भी किसी शर्मिंदगी से कम नहीं है। इसमें भी अराजक तत्व कुछ तो बिगड़े बाप की संतान होते हैं, जो अपने खानदानी काम को छोड़ नहीं सकते। कुछ होते हैं, जो राजनीतिक तौर पर अराजकता फैलाते हैं या यूं कहें कि ये सरकार को बदनाम करने की साजिश के तहत छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं।
क्योंकि जिस प्रकार से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को बदनाम करने के तहत जो साजिश रची गयी, वह छात्राओं की आड़ में एक तरह से इस यूनिवर्सिटी पर धब्बा लगाने की साजिश थी। इसके लिये ही दूसरे विश्वविद्यालयों से लड़को ने आकर हंगामा काटा और इस महामना के सपने को तोड़ने की भरपूर कोशिश की। इसलिए फ़िलहाल जो भी घटना बीएचयू के अंदर हुई, उसमें साज़िश ज्यादा लगती है और वो भी राजनीतिक, क्योंकि जिस प्रकार से देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अराजकता फैलाई जा रही है, ये फिलहाल संकेत तो यही दे रहे हैं।
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