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रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देने के पीछे राजनीतिक पार्टियां अपना उल्लू सीधा करने में लगी हुई हैं। इनमें उन लोगों का स्वार्थ छिपा है जो वोट की गणित के रूप में देख रहे हैं। यही कारण है कि कुछ राजनीतिक पार्टियां और कुछ राजनेता इसको बहुत बड़ा मुद्दा बनाने में लगे हुए हैं और इसको एक राजनीतिक रंग देने में लगे हुए हैं, जो देश के आने वाले समय के लिए सही नहीं होगा।
राजनेता तो अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए देश की भी कुर्बानी देने में जरा भी संकोच नहीं करने वाले हैं। अभी कुछ पार्टियों को इतने भारी पैमाने पर शरणार्थियों को पनाह देना अच्छा लगेगा, परन्तु जब यही शरणार्थी देश के लिए एक खतरा बन जायेंगे, तब उनको पश्चाताप होगा और उसी समय ही इन रोहिंग्या प्रेमियों की नींद खुलेगी।
आज देश के अंदर जितना भी संसाधन है, वह इतना पर्याप्त नहीं है कि बाहरी लोगों को रख कर भोजन कराया जाय। अगर संसाधन रहे तो भी हम इसका मतलब ये तो नहीं है कि शरणार्थियों के लिए प्रयोग करें। रोहिंग्या शरणार्थियों को रखने में समस्या आना तय है। यह समस्या सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी खतरे की घंटी की तरह है, इसलिए फिलहाल जो केंद्र सरकार ने अब तक स्टैंड ले रखा है वह फिलहाल सही है। सुरक्षा के हिसाब से सरकार का चिंतित होना भी वाज़िब है, इसलिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि हम रोहिंग्या को शरण क्यों दें?
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