Menu
blogid : 23855 postid : 1355486

तुष्टिकरण की राजनीति में ममता

Indian
Indian
  • 259 Posts
  • 3 Comments

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रदेश में जिस तरह से तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं, यह बतौर मुख्यमंत्री कहीं से भी शोभा नही देता। एक मुख्यमंत्री को अपने राज्य में सभी धर्म और जाति के साथ न्यायोचित फैसले करने चाहिए, बिल्कुल भेदभाव नहीं करना चाहिए। लेकिन ममता बनर्जी केवल और केवल मुस्लिम वर्ग को खुश करने में लगी रहती हैं। चाहे उन्हें कोई भी अनैतिक कदम उठाना पड़ा, वे उसे उठाने के लिए भी तैयार रहती हैं।


mamata banerjee


इसका मुख्य कारण है वोट की राजनीति। ममता बनर्जी को इतना तो पता है कि अगर मुस्लिम वर्ग नाराज हो गया, तो हमारे सिंहासन को गिरने में देर नहीं लगेगी। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में ममता एक तरफा राजनीति करने पर आमादा हैं। पश्चिम बंगाल में चूंकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 27 प्रतिशत है और उनका काफी सीटों पर दबदबा है, वो जिधर चाहें, उधर परिणाम देने का माद्दा रखते हैं। यही कारण है जिसकी वजह से ममता की मजबूरी हो जाती है और यही तुष्टिकरण की राजनीति करने का कारण भी बनता है।


मुस्लिम वर्ग की विधानसभा की सीटों पर अच्छी पकड़ के कारण ममता बनर्जी मुस्लिम धर्म के लोगों को नाराज नहीं करना चाहतीं और यही कारण बनता है ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के दंगों पर कभी न्याय नहीं करतीं। उनका फैसला हमेशा एक तरफा होता है। आज के समय में न्याय व्यवस्था का होना बहुत ही जरूरी हो गया है, क्योंकि अगर न्यायपालिका न होती तो पश्चिम बंगाल के हिंदू वर्ग के लोगों को कतई न्याय नहीं मिलता। वे एक मुख्यमंत्री की गलत नीतियों की भेंट चढ़ जाते। लेकिन शुक्र है कि देश के अंदर न्याय अभी भी जिंदा है। उसी न्याय व्यवस्था के कारण ही लोग आज न्याय पाने में सफल रहते हैं।


एक मुख्यमंत्री किसी धर्म की आस्था को रोककर, दूसरे धर्म की आस्था को कैसे इजाजत दे सकता है। फिलहाल ममता बनर्जी का ये काम कोई नई बात नहीं है, क्योंकि ममता बनर्जी ने पिछले वर्ष भी मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई थी। तब भी इस मामले में बंगाल हाईकोर्ट को दखल देना पड़ा था। उसके बावजूद ममता बनर्जी ने पुनः इस साल मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया। मगर शुक्र है कि देश मे न्याय व्यवस्था जिंदा है।


अब अगर केवल कल्पना की जाय कि अगर देश में कोर्ट न होता, तो क्या हिंदू वर्ग के लोग मूर्ति विसर्जन कर पाते? यह बहुत बड़ा सवाल है हमारे समाज के लिए। क्या वोट के खातिर किसी धर्म की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा सकता है। यह एक सोचनीय प्रश्न है, जिसको समाज के सभी लोगों को विचार करने की आवश्यकता है। क्योंकि आज अगर देश में कोर्ट न होता, तो फिर क्या होता। लोग ऐसे ही मनमानी करते और जो चाहते वैसा करते, जैसा कि ममता बनर्जी बंगाल में कर रही हैं, मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाकर। शुक्र हो कलकत्ता हाईकोर्ट का जिसने ममता बनर्जी के फैसले का ही विसर्जन कर दिया।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh