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आज के वातावरण में बच्चों को स्कूलों में पढ़ाना ही चुनौतीपूर्ण कार्य है और उससे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य अब हो गया है बच्चों को सुरक्षित तरीके से बचाते हुए शिक्षा के अंतिम पड़ाव तक ले जाना। इसलिए हमारे लिए आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती खड़ी है कि किस प्रकार से बच्चों को स्कूलों में सुरक्षित रखते हुए स्कूलों से शिक्षा पूरी किया जाय?
आज हर माता-पिता इसी प्रश्न से परेशान रहते है कि मेरा बच्चा किस तरह से सकुशल घर पहुंच जाए? इन दिनों स्कूलों में जिस प्रकार की घटनाएं घटित हो रही हैं, उससे हर कोई अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर परेशान है। स्कूल के अंदर जो घटना घटित हो रही है, वह इतनी हृदयविदारक होती है कि उसकी कल्पना करना भी संभव नहीं होता।
आखिर किस मानसिकता से लोग घिरते जा रहे हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को निशाना बनाने में नहीं चूकते। हाल ही में जिस तरह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्कूल के अंदर घटना को अंजाम दिया गया, यह हर स्कूली प्रशासन की कलई खोलने के लिए काफी है। आज प्राइवेट स्कूलों में फीस के नाम पर तो मोटी रकम अभिभावकों से वसूल ली जाती है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर एक 5000 रुपये में बुढ्ढे गार्ड को पुतला की तरह स्कूल के गेट पर खड़ा कर दिया जाता है, जो सभी आने-जाने वालों को बस देखता रहता है, बाकी कुछ भी नहीं।
स्कूल प्रबंधन बस अपनी जेब भरने में लगा रहता है, एक तरह से ये भी अभिभावकों की जेब पर दिन-दहाड़े डकैती डाल देते हैं। सबसे बड़ा दुख इसी बात का रहता है कि अभिभावक इतना पैसा खर्च करने के बाद भी अपने लाल को इन स्कूली काल से नहीं बचा पाते और उनके आंख का तारा उन्हीं की आखों से ओझल हो जाता है।
एक पुत्र की मृत्यु का प्रभाव एक पिता पर किस कदर होता है, ये तो वही पिता बता सकता है, बाकी स्कूल प्रबंधन पर कोई असर नहीं पड़ने वाल। क्योंकि प्रबंधक की पुलिस और प्रशासन से साठगांठ होती है, इसलिए ये कानून के हाथ से बच जाते हैं और हमारे कानून के लंबे हाथ उन दरिंदो तक नहीं पहुंच पाते। अब इसमें भी बहुत बड़ा कारण है, क्योंकि आज लोग पैसे के बल पर पूरी न्याय व्यवस्था को ही अपने कब्जे में ले लेते हैं और कानून के लंबे हाथ अपराधी के गले तक नहीं पहुंच पाते। अपराधी खुले आम घूमता फिरता रहता है।
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