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विश्व के अंदर चीन एक ऐसा देश है जिसका दिखावा बिल्कुल हाथी के दाँत की तरह होता है, खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और, क्योकि जिस तरह से चीन अपने पड़ोसियों से अच्छे सम्बंध की बात करता है और उस पर अमल नहीं करता यह तो फिलहाल यही संकेत करते है। इसी कारण से ही इसकी असलियत का अंदाजा लगाना भी बहुत मुश्किल होता है। इसके कथनी और करनी में काफी अंतर होता है। चीन की सबसे खाश बात है उसकी जमीन हड़पने की भूख, और इसी कारण से इसका अपने 22 पड़ोसियों के साथ सम्बंध अच्छे नहीं चल रहे है। आतंकवाद के मुद्दे पर इसका रवैया भी काफी शर्मनाक रहा है जिस प्रकार से इसका रुख आतंकी मसूद अजहर को बचाने में रहा है इससे तो फिलहाल यही प्रतीत होता है कि चीन आतंकी और आतंक दोनों का हमेशा समर्थन करता है लेकिन आश्चर्य तब होता है जब चीन ने ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में आतंकवाद पर बोला कि सभी देश को आतंकवाद पर समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। चीन ने तो यहां तक बोल दिया कि आतंकियों की छिपने की कोई भी जगह न हो, लेकिन उसको खुद पता है कि आतंकी कहां छिपे है और कहां छिप सकते है फिर भी वह पाकिस्तान का पुरजोर समर्थन करता रहता है,विश्व में पाकिस्तान ऐसा देश है जो आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार है जहां से आतंकी अपने नापाक मंसूबो को अंजाम देते है, लेकिन आश्चर्य तब होता है जब चीन को पाक की ऐसी हरकतें बिल्कुल ही नहीं दीखती और वह उसके समर्थन में हमेशा खड़ा रहता है।चीन दुनिया को केवल दिखाने के लिए ही आतंक की निंदा करता है जब कि अप्रत्यक्ष रूप से आतंक का समर्थन करता है यही चीन का दोहरा मापदंड दुनिया को समझना चाहिए, लेकिन समय के अनुसार अगर देखा जाय तो यह सवाल उठाना भी जायज है कि आखिर कब तक चीन आतंक के नाम पर दोहरा मापदंड अपनाता रहेगा? यह क्यों नहीं चाहता कि विश्व से आतंकवाद को खत्म किया जाय,और लोग शांति से जीवन व्यतीत करें, *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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