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जनसंख्या के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश होने के कारण यहां पर अपराध भी बड़े प्रकार के और कई तरीके के होते हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश आज अपराध जगत में काफी नाम कमा चुका है। परन्तु यहां पर अपराध के ऊपर नकेल कसना किसी भी सरकार के लिए मुमकिन नहीं रह गया है। हां, इतना जरूर रहता है कि सपा सरकार में अपराध का ग्राफ काफ़ी बढ़ जाता है। बसपा सरकार में अपराधियों के अपराध में घटोतरी हो जाती है और अपराधी सपा सरकार के दौरान कुछ ज्यादा ही सक्रिय भी रहते हैं।
प्रदेश में अपराधियों के बढ़ते अपराध का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अपराधी जब चाहे किसी को भी निशाना बना देते हैं। इतना ही नहीं ये कहीं पर किसी भी समय वारदात को अंजाम दे सकते हैं। अपराधियों में बिल्कुल पुलिस का खौफ नहीं रह गया है। यही मुख्य कारण है कि अब इन बेलगाम अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए यूपीकोका लगाने की तैयारी योगी सरकार कर चुकी है, जिससे अपराध और अपराधियों दोनों पर लगाम लगाया जा सके।
यह एक ऐसा कानून है, जिसमें अपराधी का अपराध अगर सिद्ध हो गया, तो उसे तीन साल से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है और 5 लाख से 25 लाख तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इस कड़े कानून को लागू करने का सरकार का उद्देश्य सिर्फ यही है कि अपराधमुक्त प्रदेश बनाया जा सके और प्रदेश के आम नागरिक सुरक्षित जीवन जी सकें। क्योंकि अगर सुरक्षित जीवन जीना है, तो अपराधमुक्त एवं भयमुक्त वातावरण बनाना बहुत ही जरूरी होता है।
अपराधियों के बढ़ने से माहौल प्रदूषित होता है तथा उनके इस आचरण से नयी पीढ़ी भी काफी हद तक प्रभावित होती है। क्योंकि अगर लोग अपराध के बढ़ते प्रभाव के दायरे में आ गए, तो फिर समाज भी अपराध से परिपूर्ण हो जाएगा और तब फिर अपराधमुक्त करना बड़ा मुश्किल हो जाता है। सब मिलाकर अगर हम देखें, तो एक सवाल का उठना तय है कि क्या यूपीकोका से अपराधियों पर पूर्णतया नकेल कसी जा सकेगी या फिर यह कानून भी केवल कानून बनकर ही रह जायेगा और अपराधी भयमुक्त होकर घूमते रहेंगे व अपराध कायम रहेगा।
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