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किसी भी राज्य में अगर प्रशासन लापरवाह हो जाये, तो वहां पर समस्याओं का जन्म लेना कोई नई बात नहीं होगी। क्योंकि जब प्रशासन सही तरीके से काम नहीं करेगा, तो समस्या का उत्पन्न होना तय है और जब प्रशासन काम नहीं करता तो उसका खामियाजा भुगतना भी पड़ेगा। जैसा कि इस देश के तमाम राज्यों के लोग भुगतते भी चले आ रहे हैं।
प्रशासन किस कदर लापरवाह बनता जा रहा है, इसकी बानगी देखने के लिये सम्पूर्ण भारत पर निगाह डालनी पड़ेगी, जिसमें एक बात देखने को मिलेगी कि देश का कोई भी राज्य हो, लापरवाही हर जगह देखने को मिलेगी। इस लापरवाही के कारण न जाने कितने परिवारों के सदस्य पलक झपकते ही मृत्यु की गोद में समा जाते है। उसके बाद प्रशासन जनता को दिखाने के लिए कुछ न कुछ कार्रवाई करता है और बाद में फिर वही ‘ढाक के तीन पात’ समस्या फिर अपने जगह पर रह जाती है।
देश की राजधानी दिल्ली का हाल भी और राज्यों से तनिक भी अलग नहीं है, जबकि यहां पर ‘आम आदमी के मसीहा’ अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त हैं। बावजूद इसके जिस तरह की घटनाएं घटती हैं, उसे जानकर बहुत ज्यादा कष्ट होता है। ऐसी ही एक कष्टदायक घटना मयूर विहार फेज तीन में घटी, जिसमें कि एक कारोबारी की खुले नाले में गिरने से मौत हो गई।
क्या यह अरविंद केजरीवाल के विकास कार्यों की कलई खोलने के लिए काफी नहीं है। इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाय तो विकास कार्यो का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा भी दिल्ली नगर निगम पर तीसरी बार काबिज़ हो चुकी है, फिर भी समस्या जस की तस बनी पड़ी है। आज दिल्ली की सड़कों पर होते गड्ढे मौत के गड्ढे बनते जा रहे हैं। इस समस्या को देखने वाला कोई नहीं है कि कहां रोड पर गड्ढे हैं, कहां पर नालियों के ढक्कन नहीं है, कहां पर सीवर लाइन खुली पड़ी है या फिर इन पर ढक्कन है कि नहीं।
अगर इन सब स्थानों की समय-समय पर जांच होती रहे, तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि ऐसे हालात केवल दिल्ली में ही नहीं, फ़रीदाबाद और मुंबई में भी ऐसी घटना हुई, जिसमें मोटरसाइकिल सवार की जान चली गयी। सभी सरकारें बड़े-बड़े वादे तो करती हैं, लेकिन सड़क पर चलने पर मालूम होता कि है ये सड़कें कहीं गड्डों में ही तो नहीं बनी। समझ में नहीं आता है कि आखिर प्रशासन इन घटनाओं के प्रति गम्भीर क्यों नहीं होता, जिसमें कि गड्ढे जानलेवा बनते जा रहे हैं।
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