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भारतीय संस्कृति की विशेषता

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विश्व में जितने भी देश हैं, उन देशों से बिल्कुल अलग नीति, नियम और भाईचारा रखने वाला देश अगर कोई है, तो वह है भारत। यह ऐसा देश है जिसके अंदर कपट और द्वेष बिल्कुल भी नहीं रहता, चाहे सामने वाला हमारा दुश्मन ही क्यों न हो. इस देश में मानवता और इंसानियत कूट-कूटकर भरी है। वहीं, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का आचरण भारत के प्रति हमेशा नकारात्मक रहा है. इसकी घिनौनी हरकतों के बावजूद भारत का दरवाजा पाक के नागरिकों लिए हमेशा खुला रहता है.  चाहे वह किसी भी प्रकार का नागरिक हो. मसलन चाहे वह सिने जगत से सम्बन्ध रखता हो या फिर वह अस्वस्थ हो जो इलाज के लिए भारत आना चाहता हो, हर स्थिति में भारत का दिल हमेशा नरम ही रहा है, जो उसकी सहायता के लिए आगे बढ़ ही जाता है।

पाक का कोई भी अस्वस्थ नागरिक अगर भारत सरकार से इलाज के लिए गुहार लगाता है, तो भारत सरकार हर समय उन मरीजों की मदद करने को तत्पर रहती है. यही हमारे भारतीय संस्कृति की छाप है, जो विश्व के कई देशों को सोचने के लिए मजबूर कर देती है कि भारत कैसा देश है, जो अपने दुश्मन की भी जान बचाने को हमेशा तैयार रहता है. मगर अफसोस कि भारतीय प्रकृति को हमारे पड़ोसी चीन और पाकिस्तान दोनों ही नहीं समझ पा रहे हैं और अपने जमीन की लोलुपता में फंसे पड़े हैं. इन दोनों देशों की जमीन हड़पने की भूख नहीं मिट रही और ये अपने उसी एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं.

पाकिस्तान को कश्मीर दिखता है और चीन को अरुणाचल प्रदेश. इनको जमीन से संतुष्टि नहीं प्राप्त हो रही है, इसलिये ये दोनों देश जमीन हड़पने के लिये भारत को परेशान करते रहते हैं, जबकि भारत कभी भी किसी देश को परेशान नहीं करता. यहां पर एक ही नारा होता है, जियो और जीने दो. मगर विश्व का दुर्भाग्य है कि आज भारत के सिद्धांतों पर अमल करने वाला कोई नहीं है. अगर इस सिद्धान्त पर लोग रहे, तो आज जिस तरह से आतंकवादियों की चपेट में विश्व आ रहा है, यह इंसानियत के लिए एक खतरे की घण्टी है. अगर लोग आतंक को बढ़ावा देते रहेंगे तो यही बढ़ावा देना सबके लिए गले की फांस भी बन सकता है, जिसको निकालना बहुत ही मुश्किल होगा. इसलिए पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति से सीखने की जरूरत है और उसका पालन करने का भी. यही इस देश की प्रकृति है और यही इस देश की संस्कृति है.

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