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मनुष्य मानसिक रूप से अगर क्षीण होने लगता है, तो वह एक गलत कदम उठाता है और वह कदम होता है आत्महत्या का। क्या मनुष्य इतना कमजोर हो सकता है कि उसको आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़े। मगर आज के समय में यही सत्य है। लोग मानसिक रूप से इतने कमजोर होते जा रहे हैं कि वे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। ये लोग आत्महत्या करने से पहले कुछ भी नहीं सोचते और घटना को अंजाम दे देते हैं।
आखिर एक मनुष्य इतना लाचार क्यों हो जाता है कि उसको आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़े। देश में किसानों की माली हालत इतनी गड़बड़ हो गई है कि प्रत्येक दिन कोई न कोई किसान अपने प्राण त्याग रहा है। अगर देखा जाय तो किसी भी समस्या का हल प्राण देना कतई नहीं है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं। हमको किसी भी समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। हर समस्या से मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जब तक हम मानसिक रूप से मजबूत नहीं होंगे, तब तक आत्महत्या का विचार आता रहेगा। इसलिए अपने आप को इतना मजबूत रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार की कोई समस्या आये तो हम उससे लड़ सकें।
मगर आज की हमारी युवा पीढ़ी इतनी कमजोर हो गयी है कि छोटी-छोटी बातों पर इस कदर टूट जाती है कि उनको किसी भी प्रकार का रास्ता दिखाई नहीं देता। वे आत्महत्या के लिए बाध्य हो जाते हैं। आज के समय में ट्रेनों के आगे कूदना, रेलवे पटरी पर लेट जाना, मेट्रो के पटरी पर कूदना, पंखे पर लटकना, ऐसे न जाने कितने रास्ते लोग मरने के लिए खोज लेते हैं।
मरने के पहले यह कभी नहीं सोचते कि जिस माता-पिता ने पालन-पोषण किया है, उनके ऊपर क्या बीतेगा। वे हमारे न रहने पर किस कदर जिंदगी का निर्वहन करेंगे। कैसे अपनी बुढ़ापे की जिंदगी को आगे ले जाएंगे। ऐसे बहुत से प्रश्न होते हैं, जो माता-पिता को परेशान करते है, लेकिन उनकी सन्तान कुछ भी सोचे बिना इतना बड़ा निर्णय ले लेती है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। आज की युवा पीढ़ी बिना सोचे होश खो देती है और फिर मृत्यु की गोद में हमेशा के लिए सो जाती है। ये लोग बिना बुलावे के ही यमराज के दरबार में हाजिरी लगा देते हैं।
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