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धृतराष्ट्र की भूमिका में चीन

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महाभारत काल में जिस प्रकार से दुर्योधन को लेकर धृतराष्ट्र ने उसके सभी अनैतिक कार्यो पर आंखे बंद कर रखी थी और अपने पुत्रमोह के कारण महाभारत जैसे भयंकर युद्ध का पदार्पण होने के लिए मजबूर किया , जिससे न जाने कितने निर्दोष लोग मारे गए थे, फिर भी धृतराष्ट्र को दुर्योधन की गलती नजर नहीं आयी, इसमें यह तो बताने के लिए काफ़ी है कि गलत रास्ते पर चलना कितना कठिन होता है,और उसका परिणाम अंततः भयावह होता है, जबकि धृतराष्ट्र अगर दुर्योधन को यह समझाने में सफल हो जाता कि बेटा तुम अनैतिकता के मार्ग पर चल रहे हो और इसका परिणाम ठीक नही होगा तो इस महाविनाश को रोका जा सकता था,लेकिन जब आँख पर मोतियाबिंद की परत चढ़ जाती है तो फिर उस परत को हटाना ही एक समाधान होता है,और उसको हटाने के लिए आपरेशन जैसा कदम उठाना पड़ता है, ठीक इसी प्रकार से चीन की आँखों पर मोतियाबिंद की परत चढ़ गई है जिससे कि उसको पाक की कोई भी गतिविधि में अनैतिक जैसा कोई कार्य नजर नही आता, जब कि पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान कितना साफ है। लेकिन अब इसको हम चीन का दुर्भाग्य कहें या उसकी अपनी स्वार्थ सिद्धि, यह पाकिस्तान को आतंकी हरकतों को करने के लिए रोकने के बजाय यह उसको उकसाने में लगा रहता है।आज पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ कोई हरकत करता है तो वह चीन के सह पर ही करता है।चीन जब मसूद अजहर जैसे आतंकी को बार-बार बचा ले रहा है तो उसकी मंशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, इसलिये यह कहना कतई गलत नहीं लगता कि चीन की भूमिका आज के परिदृश्य के हिसाब से बिल्कुल धृतराष्ट्र की है जिसको पाक की नापाक हरकत पर मोतियाबिंद की परत लग गई है इसलिए भारत को जरूरत है कि चीन की आँखों से इस परत को हटाने की, जिससे उसको पाक की छवि अच्छी तरह से दिखाई दें,क्योंकि आज चीन को पाक की संप्रभुता की बहुत चिंता है जबकि भारत की संप्रभुता की चीन को बिल्कुल ही चिंता नहीं रहती, जो यह दर्शाता है कि चीन पाकिस्तान के कितने करीब है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोयडा

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