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जब तक समाज के अंदर स्वच्छ मानसिकता के लोग बड़े पैमाने पर नही होंगे तब तक भारत में जगह और मन दोनों की सफाई नहीं हो सकता। समाज के अंदर दो विचारधारा रखने वाले लोगो के अधिकता के कारण ही देश का कोई भी अभियान अपने लक्ष्य तक नही पहुँच पाता, जिसके कारण उस अभियान को पलीता लग जाता है और वह एक तरह से दम तोड़ने लगती है। जहाँ तक स्वच्छता की अगर हम बात करे तो एक तरफ देश के पीएम का स्वच्छता अभियान को लेकर अलख जगाई जा रही है तो दूसरी तरफ इसी समाज के कुछ अराजक तत्व है जो नही चाहते कि कोई भी मिशन को कामयाबी मिले, इसी कारण यह भी आज सफल नहीं हो पा रहा है क्योंकि कुछ लोग दूसरी विचारधारा के है जो इन स्वच्छता अभियान में बाधक बने हुए है, जैसा कि अभी एक घटना ने दिल्ली के स्वच्छता अभियान और उसके प्रति लोगों की जागरूकता दोनों का परिचय करा दिया, और यह भी पता चल गया की एक स्वच्छता के सिपाही ई-रिक्शा चालक को स्वच्छता को बढ़ावा देना कितना महंगा पड़ गया कि वह अपनी जान से ही हाथ धो बैठा, उसकी सिर्फ़ गलती इतनी थी कि वह खुले में पेशाब करने वालों को रोका था और उस आरोपी व्यक्ति को यह बात इतना नागवार लगा कि उसने साथियों के साथ मिलकर उस स्वच्छता के सिपाही को पीट-पीट कर हत्या कर दी। अब अगर समाज में इस प्रकार के लोग रहेंगे तो स्वच्छता अभियान को कैसे अंजाम दिया जा सकता है, इसलिए हर मनुष्य का कर्म है कि वह स्वच्छता में सहयोग करें और अपनी मानसिकता को भी स्वच्छ बनाएं तभी जाकर देश के अंदर सुधार आ सकता है, आज के समय में विपक्षी पार्टियों का भी सरकार के प्रति सहयोग के प्रति उदासीनता झलकती है जिससे भी सरकार का मिशन फेल हो जाता है, सरकार ने जिस प्रकार पूरे देश मे गोहत्या रोकने के लिए शुरुआत की, उसके पहले ही कुछ राजनीति नेता इस अभियान को फेल करने में जुट गए है। केरल में जिस प्रकार का विरोध दर्ज कराया गया यह अपने आप मे काफी निंदनीय है क्योंकि विरोध करने का यह कोई तरीका नही होता कि किसी बछड़े का ही कत्ल कर दिया जाय, लेकिन कांग्रेस नेताओ ने जो कदम उठाये वह काफी शर्मनाक और निंदनीय हैं। ***************************************** नीरज कुमार पाठक नोयडा
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