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न्याय पर नक्सली हमला

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नक्सलियों के तरफ से होते आ रहे हमले को अगर हम गम्भीरता से नही लेते है तो ये देश के लिए एक खतरनाक संकेत है जिसके द्वारा देश की शांति बिगड़ सकती है, और लोगों के अंदर दहशत फैल सकती है जिसको रोकना बहुत जरूरी है, इसलिए सरकार को चाहिए कि वह नक्सलियों के मुखिया से बात करे और उनके द्वारा हथियार उठाने के कारणों को पहिचानें, आज के समय मे जब देश के बाहर से लगातार देश की सुरक्षा को अखंडित करने की कोशिश में पड़ोसी लगा पड़ा है तब हमारे अंदर इस प्रकार की घृणित कार्रवाई नक्सलियों के द्वारा की जाती है कि जिसमें हमारे कितने वीर जवान मृत्यु के आगोश में चले जाते है,इस प्रकार से देश के जवानों को अंदर ,बाहर दोनों मोर्चो पर लड़ाई लेना पड़ रहा है। आज नक्सलियो की ताकत इतनी बढ़ गयी है कि वह न्याय के पुजारी को भी धमकी देने में पीछे नही है। नक्सलियों के द्वारा एक न्यायाधीश को मौत की सजा देने की धमकी देना बिहार सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है बन गयी है और इस चुनौती को सरकार के द्वारा स्वीकार करना भी चाहिए और इस धमकी को हल्के में कतई नही लेना चाहिए , इसके निस्तारण के लिए भी सरकार को पहल करनी चाहिये। आज देश मे नक्सली हमले लगातार कहीं न कहीं पर होते रहते है जिसमें आम जनता तो परेशान होती ही है ,हमारे सुरक्षा बल तो जान से ही हाथ धो देते है। आज देश में नक्सली एक बहुत बड़ी समस्या बनते जा रहे है। आज हालत इतने ज्यादा खराब होते जा रहे कि अब जज को भी धमकी मिल रही है, जबकि एक जज का काम होता है न्याय करना और इसी न्याय की प्रक्रिया के तहत ही जज ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने उन पांच नक्सलियों को फांसी की सजा सुनाई जो सीआरपीएफ के दो जवानों के हत्या के आरोपी है, अब नक्सलियों को ये फैसला इतना नागवार लगा कि इन्होंने लगे हाथ जज को धमकी दे दी, लेकिन अब सवाल सबसे बड़ा यह खड़ा होता है कि अगर देश के अंदर ऐसे ही न्यायाधीशों को अपराधी धमकी देते रहेंगे तो वह दिन दूर नही जब हर अपराधी ही जज को सजा सुनाने के बाद धमकी देता फिरे और जज भी न्याय प्रक्रिया से ही दूर जाने लगे, क्योकि कोई भी मनुष्य यह नहीं चाहता कि उसकी जान जाएं। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह ऐसे लोगों को सही रास्ते पर ले आये जो न्याय की प्रक्रिया में बाधक बन रहे है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोयडा

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