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चिकित्सा में राजनीति

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एक डॉक्टर का फर्ज सिर्फ इतना होता है कि वह किसी भी मरीज को हर हालत में स्वस्थ करें,जिससे कि वह मरीज फिर से एक नई जिंदगी की शुरुआत कर सके, लेकिन जब डॉक्टर अपने पेशे की आड़ में राजनीति करने पर उतारू हो जाय तो फिर इसको क्या कहा जायेगा, इसको हम अच्छा संकेत नही कह सकते, क्योंकि जिस प्रकार से हरियाणा के गुरुग्राम में दो डॉक्टरों ने एक अपराधी को अपने शरण में सिर्फ इसलिए रखा कि वह हत्यारोपी अपराधी किसी भी दशा में गिरफ़्तार न होने पाए, यह वास्तव में डॉक्टरी पेशा के लिए सबसे बड़ा खतरा है, एक अपराधी को जिस प्रकार से इन दोनों डॉक्टरों ने बचाने की कोशिश किया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसलिए सबसे पहले इन डॉक्टरों के प्रैक्टिस पर आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जिससे कि आने वाले समय में कोई भी डॉक्टर ऐसा दुस्साहस न कर सके, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने जिस प्रकार से इन दोनों डॉक्टरों को दोषी पाया और उनके ऊपर 70-70 लाख का जुर्माना लगाया है यह बिल्कुल सही निर्णय है, बल्कि जुर्माने की राशि को और भी बढ़ा देनी चाहिए, जिससे कि जो डॉक्टर अगर अपराधियो को संरक्षण देने के मामलो में आने के लिए सोच भी रहे होंगे वह अपराध और अपराधियों की मदद करना भूल जाय,आज पैसे के लिए लोग अपने पेशे को भी दांव पर लगा दे रहे है, यह एक तरह से पेशा के विपरीत कार्य है जो एक डॉक्टर को फ़िलहाल शोभा नही देता, डॉक्टर को मरीज बचाने की ज़िम्मेदारी दी गयी है न कि अपराधी को बचाने की, इसलिए सभी डॉक्टर वर्ग को अपने पेशे के विपरीत न जाकर, अपने पेशे के प्रति ईमानदार और जबाबदेह होना चाहिए और हर मरीज के जीवन रक्षक की तरह काम करना चाहिए, जिससे कि देश के सभी लोगों का विश्वास डॉक्टर के प्रति बना रहे और उसके प्रति विश्वास भी खड़ा रह सके। आज भारत में डॉक्टरी पेशा भी लोग मजाक बना दिये है, जबकि इसको बिल्कुल गम्भीरतापूर्वक लेना चाहिये, क्योकि डॉक्टर से हर उस मरीज का रिश्ता जुड़ा होता है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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