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भ्रष्टाचार के शिकंजे में एनजीओ

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एनजीओ यानि स्वयंसेवी संगठन बनाने का उद्देश्य और इसको सरकार द्वारा दिया जा रहा अनुदान का मकसद सिर्फ इतना होता है कि जनता को किसी न किसी मामले में जागरूक किया जा सके और उस जनता की ज्यादा से ज्यादा सहायता किया जा सके जो अक्षम और अज्ञानी है, लेकिन आज एनजीओ भी उस लीक से हट कर काम कर रही है जिसके लिए वह जानी जाती है,और आज इस लूटतंत्र के युग में एनजीओ भी पीछे नहीं रहने वाली, इसने भी वही किया जो इस देश में होता आया है, जहां हर समय घोटाले की एक नई इबारत लिखी जाती है ,उस देश में ये कैसे संभव हो सकता है। लिहाजा कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने भी उसी लकीर पर चलने की कोशिश किया जिस पर कुछ वर्षों से देश चल रहा है, घोटाला दर घोटाला की कड़ी में एक नई कड़ी 23 एनजीओ भी है जिन पर सरकार के अनुदान के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा है। इन एनजीओं को इस काम के लिए अनुदान दिया गया कि आप सड़क सुरक्षा और ड्राइवरों के प्रशिक्षण पर पैसा खर्च करेंगे लेकिन ये स्वयंसेवी संगठन पैसा तो खर्च कर दिए लेकिन जिस मद में लगाना था उस पर खर्च नहीं किया गया, जिसके कारण ही सरकार के किसी भी पत्र का ज़बाब नहीं दे रहे है, इससे इस बात का संदेह बढ़ गया है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है।संदेह बढ़ना भी स्वाभाविक है क्योंकि पत्र का जब उत्तर नही मिला। अब सवाल ये है कि जब एनजीओ ही इस प्रकार की हरकत करेंगी तो फिर एनजीओ का क्या औचित्य रह जायेगा।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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