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सुनने में यह शब्द तो साधारण लगता है लेकिन यह जितना यह साधारण लगता है उतना दिखता नही,तीन तलाक में इतनी शक्ति है जो एक खुशहाल परिवार को एक ही झटके में ही दुखों का पहाड़ खड़ा करने में महारत रखता है,इस शब्द को सुनने के बाद न जाने कितनी महिलाएं अपनी जिंदगी से संघर्ष कर रही है और इस संघर्ष को न जाने कितने दिनों तक झेलना पड़ सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं तो कुछ क्षण के लिए इस दर्द की पीड़ा को झेल सकती है परंतु उनके साथ अगर उनकी सन्तानें हो वह भी छोटे उम्र के तो ये और भी पीड़ादायक सिद्ध होता है और इस पीड़ा को सहन करना मुश्किल हो जाता है,महिलाओं के इस मर्म को समझना सबके वश की बात भी नहीं ,लेकिन इस पुरुष प्रधान देश में औरत की इतनी घटिया स्तर देना ये कहीं से भी सही नहीं है इन तलाक शुदा महिलाओं की हालत को देख कर किसी भी मानव का हृदय जरूर पसीज जायेगा,लेकिन अफ़सोस कि देश में धर्म के ठेकेदारों को यह दिखाई नहीं देता,ये अपने धर्म का रोना रोते रहते है और पर्सनल लॉ बोर्ड की दुहाई देते रहते है। आज पर्सनल लॉ बोर्ड यह मानने को तैयार नहीं है कि तीन तलाक को खत्म किया जाय , मौलवी लोग यह कहते है कि सुप्रीमकोर्ट इस मामलें मे दख़लदांजी नही कर सकता, जबकि इन मौलाना लोगों को यह समझ में नहीं आता है कि देश के संविधान से ऊपर पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं है,और सुप्रीमकोर्ट जो भी आदेश करेगा उसको मानना पड़ेगा, सबसे बड़ी बात अगर हम तीन तलाक के मामलें पर देखें तो तीन तलाक 22 देशों मे प्रतिबंधित है जो मुस्लिम राष्ट्र है ,अब सवाल ये है कि जब वहां पर प्रतिबंधित है तो भारत में क्यों नहीं हो सकता ? जबकि भारत लोकतंत्र देश है,यहां पर सबको जीने का अधिकार है तो फिर महिलाओं के साथ इस अमर्यादित आचरण का क्या प्रयोजन है। आज तीन तलाक को लोग अल्ला के द्वारा बताया गया कानून कहते है लेकिन अल्ला तो एक है यही दूसरे देशों के लिए भी है तो फिर वहां प्रतिबंधित क्यों है। आज तीन तलाक देने का जो माध्यम बनाया अपनाया जा रहा है यह सरासर गलत है क्योंकि अल्ला के समय में न तो टेलीफ़ोन थे न ही ई-मेल। इसलिये तीन तलाक देने के जितने भी माध्यम है ये सब ग़ैरकानूनी तरीके है इसलिए तीन तलाक और उसी के साथ हलाला जैसी कुप्रथा को बिल्कुल खत्म कर देना चाहिए जिससे की महिलाओं की जिंदगी को बर्बाद होने से बचाया जा सके, क्योकि आज तक कितनी महिलाएं इस कुचक्र में फंस कर खत्म हो गई।अब फ़िलहाल कोशिश ये करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस तीन तलाक की मार न पड़े। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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