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उप्र के मुख्यमंत्री ने संसद में बोलते समय इस बात का जिक्र किया था कि अभी यूपी में बहुत कुछ बंद होगा। इससे विपक्ष के लोग और सत्ता पक्ष के लोग दोनो सकते में आ गए। फिर भी उप्र में बहुत कुछ बंद भी हुआ ,लेकिन योगी सरकार राज्य के बोर्ड परीक्षाओं में नकल को रोकने में पूर्णतया सफल नहीं हो पाई,जब कि नकल माफिया अपने काम को बिल्कुल ज़िम्मेदारी के साथ निर्वहन कर रहे है,लेकिन वही प्रशासन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में सफल नही हो पा रहा है,इसका कारण यह है कि उच्च पद पर बैठे लोग पैसे लेने के कारण आँखे बंद कर लेते है। आज परिस्थिति ये है कि नकल माफिया लोगों का एक बहुत बड़ा रैकेट होता है जो शिक्षा अधिकारी से लेकर चपरासी तक से मिले होते है और ये छात्रों से श्रेणी के हिसाब पैसे वसूलते है। शिक्षा में भ्रष्टाचार इस कदर घुस गया है कि जितने भी नकल कराने वाले स्कूल के प्रधानाचार्य है वह पैसे के बल पर मनचाहा परीक्षा केंद्र ले लेते है और फिर उस परीक्षा केंद्र पर धुंआधार नकल कराई जाती है। बच्चे भी इस तरीके को आसान समझते है और पैसे देकर अच्छे नम्बरों से पास होना ही उचित समझते है,लेकिन आज उप्र में जिस रफ़्तार से नकल कराने का धंधा अपने चरम पर चल रहा है यह शिक्षा, शिक्षक और छात्र सभी ले लिए अच्छा संकेत नही कहा जा सकता,क्योंकि अगर न्यू इंडिया को बनाने में अगर इंही नकल मार कर पास होने वाले छात्रों को लगा दिया गया तो फिर न्यू इंडिया का सपना चकनाचूर होने में भी देर नहीं लगेगी,इसलिए नकल की शिक्षा को रोकना ही होगा अगर हम एक नए भारत का निर्माण करना चाहते है तब,अब देखना ये है कि योगी सरकार इन नकल माफियाओं का जो खेल चल रहा है इसको कैसे बंद कर पाते है? क्योंकि इनसे निपटना भी आसान नही है,क्योंकि इन माफियाओं के हाथ बहुत ऊपर तक होते है और इनको रोकने का मतलब आग में हाथ डालना है लेकिन अगर शिक्षा को सही मायने में इसको एक मुकाम हासिल करवाना है तो नकल की अक़्ल को प्रतिबंधित करना ही पड़ेगा,क्योकिं ऐसी शिक्षा से नुकसान ज्यादा होता है फायदा कम होता है। आज के समय में नकल का धंधा भी खूब फल-फूल रहा है नकल माफियाओं की खूब चांदी कट रही है। *****************************************
नीरज कुमार पाठक नोएडा
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