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शिक्षा माफियायों का बढ़ता साम्राज्य

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शिक्षा लेने के लिए विद्यालय को बनाया गया कि इस विद्यालय में लोग शिक्षा ग्रहण करेंगे,इसी के उद्देश्य स्वरूप एक पिता भी अपने बच्चे को विद्यालय भेजता है कि अच्छी शिक्षा से परिपूर्ण होगा। कोई भी पिता हो या फिर अभिभावक उसकी हमेशा एक ही इच्छा होती है कि उसका वारिस अच्छे तरीके से पढ़े और समाज में एक अच्छा स्थान बनाएं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सभी माता-पिता अपने बच्चे को शिक्षा के इस मंदिर में भेजते है,लेकिन आज शिक्षा माफियाओं के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है,जिसके कारण इस पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है। देश के अधिकतर भागों में नकल कराना एक तरह से पेशा बन गया है।इन नकल माफियाओं के कारण शिक्षा के क्षेत्र में भी एक समूह बनता जा रहा है जिसके कारण इन नकल माफियाओं का बहुत तेजी से विकास हो रहा है। ये नकल माफिया जब बोर्ड परीक्षा शुरू होती है तो उस समय ये मेढक की तरह कालेजों के आस-पास मंडराने लगते है और पेपर की समाप्ति के बाद भूमिगत हो जाते है। ये लोग हर कक्षा के परीक्षार्थी के लिए नकल कराने का सुविधा शुल्क अलग-अलग प्रकार से निर्धारित होता है , इसमें भी श्रेणी के हिसाब से पैसे लगते है। जो जितना पैसा देता है उसी हिसाब से प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी की डिग्री के लिए नकल सामाग्री दी जाती है। इन नकल कराने से मिले पैसे को ऐसा नही है कि ये एक व्यक्ति के पास रहता है यह कई लोगों में बांटा जाता है जो शिक्षा के अधिकारियों तक जाता है। आज के युग में अगर मनुष्य के पास पैसा है तो उसके लिए कुछ भी असंभव नही है पैसे के बल पर वह डिग्री ले लेता है तदुपरांत वही बल नौकरी में भी दिखा देता है,नौकरी भी मिल जाती है बेशक़ उसको प्रार्थना पत्र लिखना न आता हो,आज वही खुशहाल है,क्योंकि जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए हर व्यक्ति को आर्थिक रूप से मजबूत होना पड़ता है, कमजोर व्यक्ति की कोई पूछ इस संसार में नही है। आज नकल का धंधा खूब फल-फूल रहा है,इसमें भी कुछ छात्र और उनके अभिभावक भी दोषी है जो नकल के धंधे को आगे ले जाने में सहायक है।अब सवाल यह है कि क्या इसी नकलची शिक्षा से भारत विश्व गुरु का सपना पूरा कर पायेगा ,जब देश के अंदर शिक्षा प्रदूषण का दायरा बढ़ता ही जा रहा है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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