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भारतीय इतिहास में कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसका इतिहास बहुत पुराना है।वह पार्टी जो देश की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है और उसकी स्थिति आज ये हो गई है कि वह क्षेत्रीय पार्टी के साथ घुटनों के सहारे चलने को मजबूर है,आज भारतीय कांग्रेस पार्टी का दायरा जिस तेजी से घट रहा है यह वास्तव में कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नही है, कांग्रेस के पुराने नेताओं और उसके शुभचिंतको के लिए भी चिंतित करने वाला विषय है। आज जिस प्रकार से इस पार्टी की साख गिर रही है यह कांग्रेस नेतृत्व को जरूर कटघरे में खड़ा करने के लिए पर्याप्त है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की दिक्कत ये है कि ये अपने पद के अनुसार गंभीर नहीं रहते और न ही अपने बातों से वजन रख पाते, जिसके कारण ये हसी के पात्र बने रहते है। आज देश की सत्ता संयोग से ऐसे कुशल व्यक्ति के हाथों में है जिसका मुकाबला करना राहुल के लिए मुश्किल होता जा रहा है। राहुल की कमजोरी ये है कि ये एक ही जुमलेवाजी का प्रयोग ज्यादा करते है जो देश और देश की जनता दोनों को सही नही लगता,लगातार पार्टी की हार होने के कारण खुद कांग्रेस के अंदर भी नेतृत्व परिवर्तन की आवाजें उठनी शुरू हो गयी है। इसलिए आज स्थिति ये है कि कांग्रेस को चाहिए कि मोदी के विरोध को छोड़ अपने पार्टी को मज़बूत करने के बारे में सोचना चाहिए और खोये हुए जनादेश को फिर से प्राप्त करना चाहिए।अगर कांग्रेस अपने कमजोरी पर मंथन नहीं कर पाया तो यह एक राष्ट्रीय पार्टी समय के हिसाब से एक दिन क्षेत्रीय पार्टी का पिछलग्गू पार्टी बन कर रह जायेगी और इसको फिर राष्ट्रीय पार्टी कहना भी एक जुमला बन जायेगा,आज देश में लोग कांग्रेस से मन मोह खत्म करते जा रहे है और इसकी लोकप्रियता में दिनों दिन गिरावट दर्ज हो रही है जो सबके सामने है।इस राष्ट्रीय पार्टी को तेजी से गिरते ग्राफ पर अंतर्मन से सोचना चाहिए और विचार करना चाहिए कि गिरते ग्राफ को कैसे रोका जाय।।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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