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अभिव्यक्ति का कवच

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आज के समय में अभिव्यक्ति शब्द का मतलब ही लोग गलत निकालने लगे है इसका यह कतई मतलब नही होता कि जो भी मुंह में आ जाये बोल दिया जाय,चाहे किसी को अच्छा लगे या न लगे। पिछले साल से दिल्ली के कालेजों में जो देशद्रोही खेल खेला जा रहा है यह कहीं से भी लोकतंत्र के लिए अच्छा नही है। पहले जेएनयू उसके बाद डीयू और अब रामजस कालेज में जिस प्रकार से नारे लगाये गए यह किसी भी कोण से देशभक्ति का सबूत नही देता क्योकि जो नारे प्रयोग किये गए उनमें भारत तेरे टुकड़े होंगे,अफजल हम शर्मिंदा है कातिल तेरे जिंदा है,छिन के लेंगे आजादी,कश्मीर मांगे आजादी इत्यादि नारे लगाये गए,अब इन नारों से किसी भी सच्चे भारतीय के ऊपर क्या बीतती है यह एक सच्चा भारतीय या फिर सेना का जवान ही बता सकता है जो देश का किसी भी हालत में टुकड़े न होने की कसम लिए अपने सीने पर गोली खाने के लिए हर समय सीमा पर एक सच्चे प्रहरी की तरह अपनी ड्यूटी को निभाता है। अब उस सेना के जवान के जवान के सामने कोई अगर बोले की भारत तेरे टुकड़े होंगे तो वह उसको गोली भी मार सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कालेज प्रशासन को जब इस बात का पता था की उमर ख़ालिद के ऊपर देशद्रोह का केस चल रहा है तो वह उसको व्याख्यान के लिये क्यों आमंत्रित किया, यह एक जानबूझकर की गई गलती है जिस पर रामजस कालेज प्रबंधन को जबाब देना चाहिए, आज देश के अंदर उमर खालिद से बढ़िया बोलने वाला कोई नहीं है जो उमर खालिद को बुलाया गया,उमर खालिद अगर बोलने में इतना बढ़िया होता तो उसके ऊपर देशद्रोह का केस नही चलता, आज के समय में अभिव्यक्ति का मतलब ही लोग गलत निकाल रहे है, अभिव्यक्ति का यह कतई मतलब नहीं होता है कि जो भी दिल में आ गया उसको बोल दिया ,कोई भी देशवासी राष्ट्र के खिलाफ़ नही बोल सकता और जिसको राष्ट्र के खिलाफ बोलना है वो देश से बाहर जा सकता है चाहे वह उमर खालिद ,कन्हैया कुमार हो या गुरमेहर कौर क्यों न हो ,ये सब लोग देश से बड़े नही है। इन लोगों को आजादी की मांग किस चीज की है, देश में सबसे बड़ी आजादी तो यही है कि लोग देश का ही नमक खा कर देश से गद्दारी कर रहे है,और भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगा रहे है। देश में सबसे बड़ी आजादी तो यही है कि देशद्रोही नारों को बोल कर भी लोग खुले आम घूम रहे है। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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