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मातृभूमि के रक्षक

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जिस सेना के जवान के पराक्रम के भरोसे हर भारतवासी अपने घरों में परिवार सहित अच्छे दिन की आस लिए अपनी जीविकोपार्जन में लगा रहता है और आने वाले दिनों को और अच्छा होने की चाहत संजोये रखता है,वह आखिर किसके बदौलत। आज अगर इसी मातृभूमि का रक्षक खुशहाल नहीं है तो फिर इस लोकतंत्र का क्या मतलब। देश का कोई भी नागरिक अगर आज सुरक्षित है तो उसका श्रेय पूर्णरूप से सेना के जवानों को ही जाता है जो अपने प्राण की चिंता किये बगैर ही राजस्थान के मरुस्थल,हिमाचल के पहाड़ और जम्मू-कश्मीर के लद्दाख का बर्फीला तूफान और समुद्री लहरो के थपेड़ो को सहते हुए भी जो सैनिक जिंदगी से लड़ कर देश की रक्षा करते रहते है। बिना डरे,बिना सोचे,बिना मोह के अगर ये सैनिक देश के लिये कुछ कर रहे है तो यह उनका परम धर्म है जो एक सैनिक के रगो में बखूबी दौड़ता रहता है। एक अफसोस तब होता जब हमारे जवान कम वेतन से जूझते रहते है उसके बावजूद भी बिना वेतनबृद्धि की मांग किये निःस्वार्थ भाव से देश की रक्षा में तत्पर रहते है। जबकि सरकार को सेना के जवानों को ज्यादा से ज्यादा वेतन देना चाहिए और सुविधायों में भी बृद्धि करनी चाहिए, सेना का हर सैनिक जितना त्याग देश की रक्षा के लिए करता है उतना त्याग कोई भी नही कर सकता। अपने परिवार ,माता-पिता सबको छोड़ घने जंगलों में भी में सालों -साल घूमते रहते है, एक सैनिक दुनिया का हर सुख त्याग कर अगर किसी भी चीज में सुखी रहता है तो वह है मातृभूमि की रक्षा करना,एक-एक सैनिक हर समय अपने प्राण को हथेली पर रख कर बिना डरे भारतीय सीमा की रक्षा में जिस प्रकार से अपने कर्तब्य का निर्वहन करता है यह कोई मामूली बात नही है क्योंकि इन जवानों के पास दुश्मनों की कमी नही होती है इनके ऊपर हर तरफ से हमला होने का खतरा रहता है। जम्मू-कश्मीर में अगर आतंकवादियों से डर है तो उसी राज्य में प्रकृति प्रदत्त उपहार बर्फ़ के रूप में जो जवानों के लिए काल बनता जा रहा है क्योंकि अचानक भूस्खलन से न जाने कितने जवान असमय ही वीरगति को प्राप्त हो जाते है। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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