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हे! मनुष्य तेरे कितने रूप

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मनुष्य कहने के बाद ऐसा लगता है कि हम दुनिया के सबसे अच्छे जीव का नाम ले रहे है,लेकिन मनुष्य के बारे में जितना अच्छा लोग सोचते है उतना अच्छा दिखता नही,कारण ये है की मनुष्य को कई रूप मे देखा जाता है। वह मनुष्य जो गिरते इंसान को सहारा देता है,वह मनुष्य जो चलते को ठोकर मार गिरा देता है। वह मनुष्य जो एक भूखे को अपने आगे का परोसा भोजन भी खाने को दे देता है,वही इसी समाज में ऐसे भी लोग होते है जो आगे की परोसी थाली भी खींच लेते है। एक मनुष्य वह भी होता है जो बस,मेट्रो,और ट्रेन में बड़े-बुजुर्ग को देखते ही सीट दे देते है,वही पर कुछ लोग इसी समाज में ऐसे भी निरंकुश होते है जो बसों,ट्रेनों में बैठने की सीट के लिये जान भी ले लेते है। जहां तक मनुष्य की अगर हम बात करें तो मनुष्य को सबसे समझदार प्राणी के रूप में जाना जाता है, मनुष्य हर क्षेत्र में निपुण रहता है। लेकिन मनुष्य की कुछ हरकतें समाज को शर्मसार कर ही देती है। जबकि मनुष्य को सामाजिक और सबसे बुद्धिमान लोगों की श्रेणी में गिना जाता है,उसके बाद भी मनुष्य का कभी-कभी इतना निम्न स्तर देखने को मिलता है कि उसके बाद मनुष्य जाति पर है प्रश्नवाचक चिन्ह लग जाते है और आख़िरकार हम ये सोचने पर भी मजबूर ही जाते है कि मनुष्य के कितने रूप है। इसी मानव समाज में अच्छे भी लोग है और बुरे भी है। लेकिन जो अच्छे है तो वो तो ठीक है मानव हित के लिए। लेकिन जो बुरे इंसान है वो मानव समाज के लिए घातक है। बुरे इंसानों के वजह से आज दुनिया में जो भी गलत काम हो रहे है वह मानव सभ्यता के लिए सही नहीं है। इसलिए मनुष्य कोई भी हो उसको कम से कम अच्छा संस्कार और अच्छा आचरण जरूर करना चाहिये,जिससे इस मानव रूप को कलंकित होने से बचाया जा सके।।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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