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माता-पिता की डांट बन रही गले की फांस

Indian
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संसार में क्या ऐसे भी माता-पिता होते है जो अपने सन्तान को गलतियों के बावजूद न डांटते हो, फिलहाल ऐसा तो नही लगता कि ऐसा भी कोई होता होगा, यदि कोई भी माता-पिता अपनी सन्तान को कभी डांट न लगा रहा हो तो वह अपने बच्चों के साथ सही वर्ताव नही कर रहा है, क्योंकि कोई भी बच्चा ,कितना भी प्यारा क्यों न हो ,लेकिन उसकी गलतियों को माता-पिता को छिपाने के बजाय उसको डांट लगानी चाहिए जिससे वह सही रास्ते पर बिन मुश्किल के चल सके,ज्यादा प्यार भी लड़के के आगे के जीवन के लिए सही नही होता । कोई भी चीज हो उसकी देख-रेख जरूरी होती है,अगर हम सही तरीके से किसी भी चीज को समय-समय पर चेक न करे तो उस वस्तु की गुणवत्ता पर ही प्रश्न खड़े हो सकते है। लेकिन पहले के समय और आज के समय में कितना परिवर्तन आ गया है कि बच्चे आज अपने माता-पिता के डांट से इतने दुखी हो जाते है कि आत्महत्या जैसा कदम उठाने में भी कोई संकोच नही करते और बड़े गर्व से सुसाइड नोट लिखने के बाद जीवन लीला समाप्त कर लेते है। अब सवाल ये है कि क्या माता-पिता को इतना भी अधिकार नहीं है कि वे अपने बच्चे को डांट सके। क्या बच्चों को पालने के बाद एक माता -पिता का इतना फर्ज नही बनता की वह अपने दिल के टुकड़े से ये कह सके कि बेटा! तू गलत रास्ते पर चल रहा है,जिसके परवरिश के लिए मनुष्य चोरी,बेईमानी ,भ्रष्टाचार आदि करने में भी एक पिता को हिचकिचाहट नहीं होती ,अपने सामर्थ्य के अनुसार लोग ज्यादा से ज्यादा ही करने की सोचता है उसके बाद भी सन्तानों की ये दशा देखकर एक माता-पिता का दिल क्या करेगा। उसके बावजूद भी संतानें अपने माता-पिता के बारे में इतना भी नहीं समझते कि आखिर ये है तो मेरे माता-पिता।। आज का जो समय चल रहा है उस समय के हिसाब से देखा जाय तो माता-पिता और अभिभावक इन सबका केवल एक काम रह गया है कि बच्चों का पालन-पोषण करना और बच्चों को यथानुसार रुपये प्रदान करना । इतना करने के बाद भी एक पिता बच्चे को हमेशा कुछ न कुछ करता रहता है। अगर एक पिता बच्चें को इतना कर रहा है तो उसको डांट लगाने का उसको तो अधिकार होना ही चाहिये। लेकिन आजकल के बच्चों की मानसिकता क्या हो गयी है कि लोग अपने माता-पिता की बातें बिल्कुल पसन्द नही करते ,अब सोचने वाली बात है कि अगर जिस बच्चे को अपने माता-पिता की बात अच्छी न लगती हो उसको किसकी बात अच्छी लगेगी,ये तो फिलहाल वही बता सकता है, जिसको अच्छी न लगती हो। खैर ये कहना सही नहीं होगा कि सारे बच्चें एक जैसे ही होते है,ऐसे बच्चे तो ज़्यादा नही होते लेकिन कुछ बच्चें ऐसे है जो अपने माता-पिता की वाणी बिल्कुल ही पसंद नहीं लगती। **********************************************************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा *****************************************

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