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दुनिया का कोई भी पिता हो,वह कभी नही चाहता कि मेरा बेटा किसी भी प्रकार का कष्ट सहन करे और पिता के रहते किसी भी प्रकार की कमी महसूस करें,परन्तु कोई न कोई सन्तान पितृ विरोधी भी पैदा हो जाते है जो पिता को मुश्किल में डाल देते है और अंतत: पिता को अपना सुप्रीम अधिकार पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाज़ा खटखटाना पड़ता है। यह वही पिता होता है जो अपने लड़के के लिए न जाने कितना त्याग करने के बाद उसको इस लायक बनाता है कि वह अपने पिता से ही प्रश्न पूछ सके, और समय करवट लेता है फिर वही लड़का एक दिन कोर्ट के अंदर पिता के सामने वादी के रूप में खड़ा हो जाता है और पिता के द्वारा अर्जित सम्पत्ति में अधिकार मांगता है,इसी सन्दर्भ में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फ़ैसले में यह कहा कि पिता के द्वारा अर्जित सम्पत्ति में लड़के का कोई अधिकार नहीं होता,यह उस पिता पर निर्भर करता है कि उस लड़के को घर में रखना है या बाहर का रास्ता दिखाना है,यह विशेषाधिकार पिता के ऊपर है वह जब चाहे प्रयोग कर सकते है। —————– ये तो सही है कि एक पिता चाहे वह कितना भी गरीब क्यों न हो ,लेकिन वह नही चाहेगा कि मेरा लड़का अच्छा खाना न खाएं, अच्छा पहने नहीं ,अच्छे से रहे नही,ये प्रत्येक पिता की सोच होती है। हर पिता अपने लड़के के लिए यथा सम्भव दुनिया की हर वस्तु देना चाहता है। लेकिन क्या लड़का पिता के द्वारा दिखाए रास्ते पर चल पाता है कि नहीं ,यह देखने वाली बात होती है । हर पिता अपने छोटे से बेटे को हर वस्तु के लिए अपने औकात से ज्यादा करने की कोशिश करता है। गरीब से गरीब पिता भी अपने लड़के की खुशी के लिए सब कुछ सहन करने के लिए तैयार रहता है चाहे वह चोरी हो या अपराध,लेकिन हर पिता अपने बच्चे की खुशी चाहता है। वह अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहता है बेशक फ़ीस महंगी हो,लेकिन वह शिक्षा दिलाने का भरसक प्रयास करता है। अगर शिक्षा के लिये बैंक से लोन भी लेना पड़ता है तो एक पिता उससे भी पीछे नही हटता। पिता का त्याग और बलिदान काफी मायने रखता,परन्तु एक लड़का इतना त्याग कदापि नही कर सकता,पिता के इन्हीं अधिकारों को सुप्रीमकोर्ट ने याद दिलाया कि एक पिता का कितना अधिकार होता है और जब पिता अपने अधिकारों को सही ढंग से अगर लागू करने लगे तो लड़के को घर से पनाह लेना मुश्किल हो जायेगा फिर भी पिता वास्तव में एक पिता होता है और एक पिता कभी नही चाहेगा कि हम अपने बच्चों को घर से बाहर करें,पिता इस बात को लड़के के ऊपर तब लागू करता है जब पानी सिर के ऊपर से निकलने लगता है,ये सुप्रीमकोर्ट के कानून एक पिता के सुप्रीम अधिकार की तरह है।। **********************************************************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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