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पहले के समय में कुबेर को धन के स्वामी के रूप में जाना जाता था,जिनका धन जनता के सहायता के लिए था,लेकिन इस कलियुगी समय में जो भी धन कुबेर पैदा हो रहे है ,वो केवल अपने,और अपने लोगों के लिए ही धन पर कुंडली मार कर बैठ रहे है,उनको बाक़ी किसी से कोई मतलब नही रहता कि देश में कौन से लोग भूखे सो रहे है और कौन से लोग बिना दवा के मर रहे है। इन कलियुगी धनकुबेरों की समस्या ये है कि ये अपने परिवार के प्रेम में इतने अंधे हो रहे है कि उनके पास इस मानवीय मूल्यों के बारे में सोचने का कोई समय ही नही होता। ये लोग बिल्कुल भी नही सोचते कि देश के अंदर और भी कोई इंसान रहता है,इन धन कुबेरों के पास इतनी काली कमाई होती है कि वे पूरे सिस्टम को ही बंधक बना लेते है। अब वह चाहे कोई भी हो ,उस धन कुबेर के ऊपर किसी की कोई हिम्मत नही होती कि उस पर हाथ डाले,क्योंकि अगर कोई भी हाथ डाले तो उसका बुरा दिन शुरू हो सकता है। इसलिए इन कलियुगी धन कुबेरों को रोकना जरूरी था, जिसके लिए भारत के प्रधानमंत्री ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए इन धनकुबेरों के ऊपर प्रचंड प्रहार किया है जिससे कि इनकी कमर तोड़ी जा सके, और उनके काली कमाई का पर्दाफ़ाश हो सके। इसका उपाय भी यही था कि इन बड़ी से बड़ी नोटों को तत्काल रूप से बन्द किया जाय। अगर ये नोटों पर तत्काल रूप से लगाम नहीं लगाई जाती तो काली कमाई के बादशाहों का मजा हो जाता और वे इस अबैध रूप से कमायें पैसे को सही जगह पर पहुँचा देते। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही प्रधानमंत्री ने बहुत ही कम समय देना मुनासिब समझा। अब इसमें भी राजनीति का बाजार गर्म चल रहा है कि प्रधानमंत्री ने समय कम दिया। अगर ज्यादा से ज्यादा समय दिया जाता तो कितने लोग अपने काले कारनामे करने में सफल हो जाते।आज समय देने की जो मांग अगर उठ रही है तो ये ऐसे लोग है जो इतने काले धन इकठ्ठा किये है की उनको ये सोच कर नींद नही आ रही है कि इतना धन सफ़ेद कैसे किया जाय। इसी वजह से लोग समय की मांग कर रहे है कि अगर समय मिल जायेगा तो हम अपने गणित मे सफल हो जाएंगे। हमारे देश की विडंबना यही है 100 में से 80 लोग भ्रष्टाचार के बड़े या छोटे मामलों में किसी न किसी प्रकार से निरुद्ध है। अब अगर इस भ्रष्टाचार की सफाई का काम एक आदमी के जिम्मे सौंपा जायेगा तो समय तो लगेगा ही। लेकिन इस प्रकार के ऐतिहासिक फ़ैसले लेने पर थोड़ी दिक्कत जनता को महसूस होना तो स्वाभाविक है। लेकिन एक पुरानी कहावत है कि चोर-चोर मौसेरे भाई। ऐसे ही जितने भी लोग गलत कामो में संलिप्त है उनको मोदी का काम बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है। जो लोग करोड़ो रुपये बेड के नीचे रख कर सोते है तो उनको तो दिक्कत आएंगी। अगर देश को भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना है तो ऐसे ही निर्भीक निर्णय लेना पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा इतने कम समय देने से काले कुबेर के मंसूबे ज्यादा सफल नही हुए क्योंकि आज स्थिति ये हो गयी है कि लोग नोटों को गंगा में फेंक रहे है,आग के हवाले किया जा रहा है। काली कमाई को तहस-नहस किया जा रहा है। इसलिए मोदी को चाहिए कि इन लोगों पर भी ध्यान दिया जाय जो 8 नवम्बर के बाद से सोना,जमीन ,टिकट में पैसे फंसा रहे है,या फिर किसी के खाता में भारी रकम ट्रांसफर की जा रही है, इन लोगों की भी जांच होनी चाहिये तभी जाकर कालेधन पर कुछ हद थक सफलता मिलेगी। ********************************************************************************* नीरज कुमार पाठक नोएडा
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