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राजनीतिक शहीद पर राजनीति

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सेना के वन रैंक वन पेंशन के मामलें पर विपक्षी दलों की राजनीति कितनी सही है ये तो कांग्रेस के लोग ही बता सकते है। क्योंकि ये सब कांग्रेस की ही देंन है जो एक छोटे से घाव को नासूर बनने के लिए छोड़ रक्खे थे। सेना की जो मांग है ये आज की समस्या नहीं है जिसको केंद्र सरकार पलक झपकते ही सुलझा ले, प्रशासन कोई जादू की छड़ी से नहीं चलता। जब 1972 से उठी मांग को उस समय की सरकार और उसके बाद की सरकारें नही सुलझा पायी तो वर्तमान सरकार से आप कितना अपेक्षा कर सकते है, सच पूछा जाय अगर पहले की सरकार का काम सकारात्मक होता तो सेना को यह दिन नही देखना पड़ता। आज चार दशक से पहले की सेना की मांग को क्यों नही ध्यान दिया गया। आज सेना के कथित शहीद की आड़ मे विपक्ष की बागडोर संभाले सभी दल सेना के हितैषी बने बैठे है। आज एक सेना से रिटायर्ड सूबेदार रामकिशन ग्रेवाल की आत्महत्या पर ये राजनीति के कर्णधार सब काम छोड़कर कैसे सियासी बाजार में गोता लगा रहे है। राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को ये भी नही पता कि उसके मरने के कारण क्या है।अगर कोई भी अपनी पत्नी से झगड़ा करके मर जाय तो क्या इसका दोष सरकारों का है। इन दोनों नेतायो को ये नही पता था कि आन ड्यूटी पर न जाने कितने सैनिक सीमा पर गोली ख़ा कर शहीद हो रहे है,तो ऐसे मामलों पर उनको राजनीति नही दिखती। ये नेता वहां क्यों नही जाते जहां पर एक मासूम बच्चे के सिर से पिता का साया उठ जाता है। आज विपक्ष के लोग इस मामलें को इतना तूल दे रहे है जैसे कोई बहुत बड़ा कांड हो गया है। यही विपक्षी दल सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा रहा था,तब इनको सेना नही दिखाई दे रही थी। तब सेना के शौर्य पर शक कर रहे थे,सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे। देश में न जाने सेना के कितने परिवार आर्थिक स्थिति के खराब होने की समस्या से जूझ रहे है ऐसे परिवार इन लोगों को दिखाई नही देते। पूंछ में कितने सैनिक शहीद हुये तब इनको सैनिक नही दिखायी दे रहे थे।उस समय उन सैनिकों के अंतिम संस्कार नही दिखायी दे रहा था लेकिन आज इनको राम किशन ग्रेवाल की मौत के बाद अंतिम संस्कार भी याद रहा,और इस पर भी ये राजनीति करने मृतक के घर पहुँच गए,और लगे हाथ एक करोड़ रुपये मृतक के परिवार को देने का आदेश भी कर दिए। दिल्ली के अंदर कितने लोग रोड पर सो रहे है उनके पास खाने को नही है,लेकिन इनको अपना नही दिख रहा है।राजनीति पर उतारू केजरीवाल दिल्ली से बाहर के भी मुख्यमंत्री बने बैठे है,और एक करोड़ रुपये बांट रहे है।हमारे देश मे अब राजनीति खूब तेज हो रही है। हर बात पर राजनीति,चाहे वह किसी कि आत्महत्या की हो या फिर किसी के हत्या की, राजनीति का दौर शुरू हो जाता है। विपक्ष का यह वर्ताव सही नही है। विपक्ष को हर बात पर राजनीति क्यो दिखती है। भोपाल में एक जेल प्रहरी की ड्यूटी पर तैनाती के दौरान गला काट कर मार दिया गया तो इस मामलें पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जो आज घड़ियाली आँसू बहा रहे है वहाँ देखने तक नही गये। इसके उलट सिमी के मारे गए आतंकियो के ऊपर ही प्रश्न खड़े कर रहे है। आतंकी तो आतंकी होता है चाहे वह सिमी का हो या लश्करे- तैयबा के हो। लेकिन ये नेता धर्म के चश्में से ही आतंकियों को देखना शुरू कर दिए है। आतंकियों के बारे मे कहा जाता है कि इनकी कोई जाति नही होती लेकिन कांग्रेस के ही नेता दिग्विजय सिंह का धर्म के शीशे का बना चश्मा कुछ और ही कहानी बयां करता है। इन नेतायों को ये नही पता कि अपराध को धर्मो में बांट नही सकते। लेकिन फिर भी विपक्षी दल मात्र वोट के लिए घड़ियाली आंसू निकलते रहते है। जिस प्रकार से रामकिशन ग्रेवाल ने आत्महत्या किया ,ये काम कोई भी सेना रिटायर्ड नही करेगा। जो सचमुच का सेना का जवान होगा वो इस घिनौने तरीके का प्रयोग नही करेगा। जिस प्रकार से राम किशन ग्रेवाल ने किया है। लेकिन राजनीति मे इतनी गन्दगी हो गयी है कि कायरता की इस कहानी को राजनीतिक शहीद का दर्जा दे दिया गया। इसमें भी नेताओं को घर बैठे एक मुद्दा मिल गया जिससे ये सरकार को घेरने में लगे पड़े है। ****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा *****************************************

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