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कोई भी नियम या कानून कभी भी खराब नही होते,अगर खराब होते है तो धर्म के ठेकेदार और उनकी राजनीति करने का तरीका। इसी राजनीति से बचने की जरूरत है,क्योंकि ये लोग मनुष्य को चाह कर भी अच्छा काम नही करने देते। अब चाहे वह हिन्दू धर्म हो या मुस्लिम धर्म या फिर कोई अन्य धर्म, सब धर्म के गुरु एक ही राजनीति करते है। जहां तक तलाक के मामलें पर देखा जाय तो जितनी राजनीति हो रही है, फिलहाल उसकी कोई जरूरत नही है ,लेकिन पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग जाये कहां,उनको भी तो राजनीति करनी है । इसी बात को मद्देनजर रख कर लोग राजनीति पर उतारू रहते है। न जाने कितने महिलायों की जिंदगी पुरुषों ने बर्बाद कर दी, तीन तलाक के कारण। इस तीन तलाक के कारण आगे की जिंदगी जीना भी भारी पड़ जाता है। मनुष्य का ये कितना दोहरापन रवैया है कि एक तरफ तो एक औरत को अपनी पत्नी बनाता है ,और साथ-साथ जीने-मरने की कसमें खाता है , तथा दूसरी तरफ एक झटके में ही उसको आसमान से लाकर जमीन पर पटक देता है। तीन तलाक का अगर कुरान में कहीं भी जिक्र नही है तो फिर इन धर्म के ठेकेदारों ने कैसे यह नियम बना दिया। आज मनुष्य के पास अगर देखा जाय तो सहनशीलता की काफी कमी हो गयी है, जिस प्रकार से लोग बात-बात पर अपना संयम खोते जा रहे है, उससे जिंदगी और भी बर्बाद होती जा रही है। तीन तलाक हर प्रकार से औरतो के हित मे नही है,क्योंकि तलाक शब्द ऐसा शब्द है जो एक औरत की हसती-खेलती जिंदगी को पलक झपकते बर्बाद कर देता है। जो औरत सुखमय जीवन ब्यतीत कर रही थी,उसके सामने खाने के लाले पड़ जाते है। यह महिलाओं के प्रति कितना बड़ा अन्याय है। इस अन्याय के चलते कितनी महिलाओं का शोषण हो रहा है। ——————————————-पुरुष प्रधान देश होने के नाते क्या महिलाओं को जीने का हक नही है,अगर जीने का हक नही है तो फिर आधुनिक भारत का क्या मतलब है। जब पुराने जमाने की परिपाटी चलती रहेगी तो देश कैसे विकसित हो सकता है। इसलिए अगर देश को आगे ले जाना है तो सभी धर्म,जाति से ऊपर उठना पड़ेगा। अगर हर मामलें को हम धर्म के चश्में से देखेंगे तो फिर देश नहीं चल सकता। लेकिन धर्म के जो ठेकेदार बने बैठे है उनको ये सब बातें अच्छी नही लगती,और अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे पड़े है। आज देश में जब महिला और पुरुष दोनों कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार है तब पुरुषों द्वारा ऐसी सोच सही नही है। लेकिन अगर मनुष्य तीन तलाक के बाद एक रहना भी चाहे तो धर्म के ठेकेदार उनको मिलने ही नहीं देते,और कोई न कोई पेंच फ़सा देते है। *********************************************************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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