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जिस प्रकार से चीनी सामान पर हमारा विश्वास नही रहता,उसी तरह से चीन की दोस्ती पर भी विश्वास नही किया जा सकता है,क्योंकि दोनों ही बातों मे कोई अंतर नही होता। इनका गुण ये है कि ये कभी भी टूट सकते है। चीनी सामानों की कोई भी गारन्टी लेने को तैयार नही हो सकता। इनका मतलब होता है कि यूज एंड थ्रो अर्थात प्रयोग करो और फ़ेको। आज चीन की ख़ासियत यही है कि यूज एंड थ्रो की नीति पर चलकर सस्ते दामो के कारण विश्व के मार्केट पर छाया हुआ है। जहां तक भारत की बात करें तो भारत में तो चीनी सामान बिल्कुल चीनी की तरह घुल गया है,हम भारतीयों की जिंदगी में। इसलिए हम चाह कर भी चीन को अपने देश से अलग नही कर सकते। बहुत से प्रोडक्ट ऐसे है जो केवल चीन ही बनाता है और सबसे सस्ते दर पर । चीन की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह अपने सस्ते सामान के वजह से भारत का शिरमौर्य बना है। आज हमारे जीवन में रोज की दिनचर्या में आँख खुलने से लेकर सोने तक हम चीन के निर्मित सामान का उपयोग बखूबी करते है। यहां सवाल सबसे बड़ा ये है की क्या हम इतने कमजोर है कि जो सामान आज चीन से आयात कर रहे है उसको हम क्यों नही बनाते। आज स्थिति ये है कि हर तरफ अगर दिखता है तो सिर्फ चीन के निर्मित सामान। जिस प्रकार से आज चीनी सामानों का देश में विरोध हो रहा है,ये कोई चीन के विरोध का तरीका नही है। किसी भी समस्या का हल ये होता है कि उसकी सप्लाई लाइन ही काट दिया जाय, अर्थात चीन से कोई भी सामान का आयात किया ही न जाय। अब अपने पैसे से सामान खरीद कर उसका उपयोग न करे या जला दे तो नुकसान तो हमारा ही होगा। इसको हम बुद्धिमानी नही कह सकते क्योंकि हम अप्रत्यक्ष रूप से चीन को मजबूत कर रहे है,पैसे देकर हम उसको आर्थिक रूप से मज़बूत कर रहे है।इसलिये हमारी कोशिश ये होनी चाहिये कि चीन से सामान खरीदे ही नही। अगर हम आतंकियों के हमले से बचने का उपाय खोजते रहेंगे तो पूरी जिंदगी आतंकवाद खत्म नही हो सकता। अगर आतंकवाद जड़ से खत्म करना है तो आतंकियों को जो मदद कर रहा है,उसको समझाना होगा,ये सरकार का काम है कि उसको किस भाषा में समझाया जाय,भले ही सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़े तब भी करना चाहिए। साम,दाम ,दण्ड,भेद सब नियम का पालन करना चाहिए,जो जहां पर सही फिट जाय। देश के नागरिकों अब जाग जाना चाहिए, क्योंकि हमारी कमजोरी के कारण ही आज चीन हमारा मज़ाक उड़ा रहा है और हमको कामचोर तक कह दे रहा है। चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने तो फिलहाल अपने लेख में यही कहा है। भारतीयों का खूब मज़ाक उड़ाया। इसलिए सबको जागना चाहिए और अपना मज़ाक कतई नही बनना चाहिए। चीनी अखबार के मुताबिक़ “भारत के लोग कामचोर होते है ,और वे सिर्फ पैसा कमाना जानते है।” चीनी अख़बार के टिपण्णी को अगर हम अपने परिप्रेक्ष्य में देखे तो हमको यह बात जरूर कड़वी लगेगी,लेकिन सत्य स्वीकार करना बहुत कठिन होता है। जबकि चीन का ये बयान तो काफी हद तक सही लगता है। अब सवाल ये है कि क्या हम वास्तव में काम करने में चोरी करते है। हकीकत तो फिलहाल यही कहती है कि भारतीय लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में रहते है। यहां पर लोग पैसे के पीछे भागते रहते है, और वे सोचते है कि इतना पैसा कमा ले कि फिर कई पीढ़ी बैठ कर खाती रहे। यही पैसे का अंधापन ही लोगों को भ्रष्टाचार के लिए बढ़ावा दे रहा है। भारतीयों की यही पैसे की भूख लोगों को मज़ाक लेने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन भले दबे जुबान से हम स्वीकार करे लेकिन यह तो स्वीकार करना पड़ेगा कि जितने मेहनती चीन के लोग होते है उतने मेहनती हमारे यहां नही होते। इसी कारण से आज चीन का दबदबा कायम है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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