Menu
blogid : 23855 postid : 1286496

सिस्टम का शार्ट-सर्किट

Indian
Indian
  • 259 Posts
  • 3 Comments

देश के अंदर जितने भी विभाग है अगर ईमानदारी पूर्वक सब लोग काम करे तो समस्यायों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है, लेकिन देश में सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि लोग जिस काम के लिये रखे गए है,उनको वही काम पसन्द नही आता, जिसके लिए उनको सैलरी दी जाती है,उसी काम को लोग नही करना चाहते। आज की तारीख में हर कोई पैसे के लिए सुरसा की तरह मुँह तो फैला देता है लेकिन अपना कर्तब्य लोग बड़े आसानी से भूल जाते है। आज देश के अंदर अगर देखा जाय तो अधिकांश सरकारी कर्मचारी सैलरी के बाद भी ऊपरी कमाई पर ही विश्वास रखते है। अगर आपके पास पैसा है तो समझो कि आप का काम हो गया है। आज देश में लूटतंत्र इस कदर हावी है कि जिस विभाग को चेकिग का काम दिया जा रहा है, वह विभाग पैसे लेकर चेक कर लेता है और कम्पनी को एनओसी दे देता है।ऐसी ही एक लापरवाही की बात भुवनेश्वर(उड़ीसा) के सम अस्पताल मे देखने को मिली,जिसमें आईसीयू के अंदर आग लगने के कारण 25 लोग समय के पहले ही जिंदगी को छोड़ कर चले गए। अब इसमें किसका दोष कहा जाएं,उन मरीजो का जो अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थे या फिर उन तीमारदारों का , जो मरीज लेकर अस्पताल में इलाज के लिए आते है। उन मरीजों का ये लापरवाह सिस्टम ने ऐसा इलाज किया कि बेचारे इस दुनिया से ही चले गए। कोई भी मरीज जो चलने मे सक्षम होगा ,वो गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती नही होगा,यहाँ पर ऐसे ही मरीज आते है जो गम्भीर रूप से बीमार होते है,उनको ही इस कक्ष में रखते है। लेकिन अस्पताल आते समय उन मरीजो को शायद ये नही पता रहा होगा कि जिस अस्पताल मे हम ठीक होने जा रहे है,वहां पर मानव निर्मित यमराज पहले से ही बैठाये गए है। ये मानव निर्मित यमराज असली यमराज की सहायतार्थ रहते है। ये बड़े दुख की बात है कि जिस अस्पताल में लोग जीवन पाने के लिये जाते है, वहां ये अस्पताल मौत को बांट रहे है। बड़े शर्म की बात है कि उड़ीसा के अंदर 368 हॉस्पिटल में से मात्र 3 हॉस्पिटल मे ही फायर सिस्टम काम करते है, ये कितनी डरावनी तस्वीर है। अस्पतालों का जब ये हाल है जहां पर मनुष्य को जीवन दान दिया जाता है। ऐसा नही है कि इन बाक़ी 365 में फायर सेफ्टी सिस्टम न लगा हो लेकिन कितने अस्पताल तो ऐसे होंगे कि जो फायर सिस्टम तो लगवाएं होंगे लेकिन उनका सिस्टम काम नही करता होगा, और उस अस्पताल को एनओसी भी प्राप्त हो गयी होगी। इसका कारण देश में घूम रहा भ्रष्टाचार का राक्षस है जो इन कमियों को पैसे से दबा देता है। ये सब केवल उड़ीसा की कहानी नही है,ये पूरे देश की कहानी है। पूरे भारत में हर विभागों की कहानी वही है बस अन्तर इतना है कि कोई कम लूट रहा है तो कोई ज्यादा लूट रहा है। कुछ विभाग तो ऐसे है जिनके पास तो लक्ष्मी की बरसात होती रहती है। इनमे मुख्य रूप से कुछ विभाग है जैसे पुलिस, मेडिकल, बिजली, राजस्व,अदालत आदि । इन विभागों में कमाई अंधाधुंध है,यहां पर इतनी कमाई है कि हर कदम बढ़ाने के लिए आपको पैसे तो देने ही होंगे। अगर आप ने सुविधा शुल्क नही दिया तो कोई सवाल ही नही है उठता कि आप का काम हो जाय। आज इसी भ्रष्टाचार के कारण निर्दोष इंसान मर रहे है। पैसे के बल पर लोग काम करवा लेते है और पैसे लेकर लोग काम कर भी देते है अब वह काम सही हो या गलत,लेकिन पैसा से सब सही हो जाता है। इन्ही पैसों के कारण हमारा सिस्टम लचर हो गया है। दुख तो तब होता है जब सरकारी विभाग के लोग मोटी सैलरी के बाद भी पैसे के लिए गलत को भी सही बता देते है,और इसी के कारण समाज में सिस्टम का ही शार्ट सर्किट हो रहा है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh