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आजादी शब्द का सभी लोग सम्मान करते है एवं आजादी सभी लोग चाहते भी है। अब चाहे वह बच्चा ,बुजुर्ग,महिला या पुरुष हो ,सबको आजादी ही अच्छी लगती है। यहाँ तक की पशु-पक्षी को भी आजादी ही अच्छी लगती है, ऐसा कोई भी नही होगा जो बंधन मे रहना पसन्द करेगा। इसी प्रकार से मीडिया भी आजादी चाहता है,क्योंकि सरकार के दबाव में अगर मीडिया को कोई काम करना रहे तो वह काम सही नही लगता। लेकिन दो देश जिनकी सीमा आपस में लगती है ,इनमें इतना अंतर है कि इन दोनों देशों मे अगर हम मीडिया के स्वतंत्रता की बात करें तो हमे जमीन-आसमान का अंतर मिलेगा। मीडिया पर किसी भी सरकार का दबाव नही होना चाहिये, ऐसा भी नही होना चाहिए कि मीडिया सरकार के खिलाफ़त में रहे। मीडिया को पूर्ण आज़ादी भी देना सही नही है। लेकिन जो पाकिस्तान मे होता है ये मीडिया के स्वतंत्रता मे सरेआम हस्तक्षेप है। कोई भी चैनल हो ,या प्रेस हो,सभी को इतना अधिकार तो होना ही चाहिये कि वह कम से कम सत्य ख़बर तो दिखा ही सके। लेकिन पाक मीडिया का दुर्भाग्य है कि उनको सही खबर छापने पर भी पाक प्रशासन ने देश न छोड़ने का फरमान सुना दिया। ऐसा वाकया हुआ है द डान के स्तम्भकार और वरिष्ठ पत्रकार सिरिल अलमीडा के साथ, जबकि इनका अपराध इतना है कि ये महाशय सरकार के मनमाफिक न जाकर सबके सामने सत्य लाने की कोशिश किया। इनका गुनाह सिर्फ इतना था कि इन्होंने पाकिस्तानी सरकार और सेना प्रमुख के बीच बढ़ती दूरी के बारे में लिखा था। यह खबर दोनों के लिए ही सदमा देने वाला है,क्योंकि यह खबर सत्य थी , इसलिये दोनों शरीफ को यह खबर नागवार गुजरी,और उन्होंने शराफत छोड़ कर अपने नाम के विपरीत जाकर काम किया और सिरिल अलमीडा पर देश न छोड़कर जाने का आदेश सुना दिया। ये पाकिस्तान का मीडिया के प्रति हिटलरी शासन करने से कम भी नही है। अगर मनुष्य पाप या गलत आचरण का रवैया दिखाता है तो ये जरूरी नही है कि उसकी बादशाहत ज्यादा दिन तक चलती रहे। उसके खिलाफ भी खड़े होने वाले मिल जाते है। इसी प्रकार पाकिस्तान के ही ‘द नेशन ‘ ने शासन और सेना दोनो के प्रमुखों से पूछा कि अगर मसूद अजहर और हाफिज सईद पर कार्यवाही किया जाय तो इस कार्यवाही से हमारे देश के लिए किस प्रकार का खतरा रहेगा। ये पाक सरकार के लिए बहुत ही बड़ा प्रश्न है जिसका उत्तर पाक के बस की बात नही है,क्योंकि अगर पाकिस्तान ये कहे कि हां,सुरक्षा के लिए खतरा है और हम कार्यवाही नही कर सकते। तो इस उत्तर का विश्व में गलत संदेश जायेगा और कोई भी पूछ सकता है कि इन आतंकियों के आकायो को पाल-पोश कर तैयार करने से क्या फायदा हो रहा है देश को। एक बात तो साफ है कि जितनी आजादी भारत में भारतीय मीडिया को है उतनी आजादी दुनिया के किसी भी मुल्क में नही। भारत मे कोई भी चैनल सरकार के खिलाफ कुछ भी दिखा दे तो कोई पूछने वाला नही है। लेकिन पाकिस्तान की मीडिया है जो आजादी के लिए संघर्ष कर रही है। हम बड़े आसानी से कह सकते है कि अगर मीडिया की आखों से भारत और पाकिस्तान को देखा जाय तो भारत जहां स्वर्ग है वहीं पाकिस्तान नर्क बना हुआ है। ***************************************** नीरज कुमार पाठक नोयडा *****************************************
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