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गिरती गुणवत्ता की शिक्षा

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प्राचीनकाल मे इतने संसाधन नही थे फिर भी इस आधुनिक काल से अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा छात्रो को दी जाती थी। उस समय न तो ऊंची-ऊंची स्कूल की इमारतें थी और न ही कार से आने वाले अध्यापक थे। घास-फूस से बने गुरुकुल की छप्पर के नीचे धोती-कुर्ता पहने गुरुजी शिष्यों को ज्ञान देते थे।लेकिन आज इस बदलते समय ने गुरु जी को टीचर,गुरुकुल को स्कूल और शिष्य को स्टूडेंट और ज्ञान को एजुकेशन मे तब्दील कर दिया है। लेकिन इन सब बदलाव के बीच ही शिक्षा की गुणवत्ता भी बदल गयी। स्कूल मे अध्यापको की पढ़ाई की गुणवत्ता मे काफी गिरावट आ गयी है।इसी गिरावट का मजा ले रहे है कोचिंग क्लास चलाने वाले लोग। उस समय मे कोई भी छात्र अगर उच्चतर माध्यमिक तक भी पढ़ लेता था तो उसको अच्छी जानकारी हो जाती थी,और इसी कारण उस समय बेरोजगार भी कम होते थे। आज का समय ये है कितने लोगो को मास्टर डिग्री लेने के बाद भी बोलने तक का तरीका नही पता। बी.ए करने के बाद भी अगर कोई रिक्शा चला रहा है तो उसके बारे मे कोई क्या सोचेगा। पहले के समय मे अगर जो हाई स्कूल पास हो वह अब के एम.ए पास वाले को पढ़ा देगा। ये किस बात के तरफ इशारा कर रहा है। ये सब बातें बताने के लिये काफी है कि हमारी शिक्षा ब्यवस्था किस प्रकार से विकास कर रही है। ये नही है कि कोचिंग चलाने वालो का कोई दोष है इसमे अगर दोष है तो स्कूलों का,क्योकि स्कूल मे अगर पढ़ाई अच्छे तरीके से की जाती तो उस बच्चे को जरूरत ही नही पड़ती कि वह कोचिंग पढ़े। *****************************************आज के समय मे शिक्षा की गुणवत्ता गिरने की मुख्य वजह है। (1)अध्यापक और छात्र के बीच मे बढ़ती दूरी भी शिक्षा की गिरती गुणवत्ता के लिए कम ज़िम्मेवार नही है,इस समय तो सभी छात्र अध्यापक वर्ग से वार्तालाप नही करना चाहते। छात्रो की आज की स्थिति ये है कि गुरु अगर सामने पड़ गए तो नमस्ते भी नही करना चाहते।…………………………………………………. (2) शिक्षा की गुणवत्ता गिराने मे बदलते वातावरण का ज्यादा हाथ है।क्योंकि आज का माहौल ये है कि अगर कोई भी टीचर किसी भी छात्र को डाट लगा दे तो छात्र भी गुर्राने लगता है। छात्रों की स्थिति ये है कि इनके अंदर भी बिल्कुल सहनशीलता नही रह गयी है जो अध्यापक हमको ज्ञान दे रहा है वो हमको डॉट-फटकार भी लगा सकता है। लेकिन इस समय के लड़को की मानसिकता बदल गयी है अब वे अपने माँ-बाप का तो गुस्सा बर्दाश्त नही करते तो अध्यापक का कहाँ सहेंगे। (3) शिक्षा की गुणवत्ता गिरने का एक ये भी कारण है कि स्कूलो मे योग्य टीचरो की भारी कमी है। इसलिए स्कूल मे पढ़ाने वाले अध्यापक दैनिक या संविदा पर रखे जाते है जो कम वेतन वाले होते है। कम वेतन के वजह से अच्छे अध्यापक तो मिलते नही,लिहाजा काम चलाऊ अध्यापक रखे जाते है जो ज्यादा से ज्यादा स्नातक होते है। इसलिए ये अपने स्तर से पढ़ाते है और शिक्षा की गुणवत्ता गिरना वाजिब है।।——- अब सवाल ये है कि गिरती गुणवत्ता की शिक्षा लेने से देश के नौनिहालो का क्या हाल होगा। जो आगे चलकर देश के निर्माण मे सहायक होंगे। अब अगर देश की शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़िया बनाना है तो देश मे स्कूलों की दशा सुधारनी होगी। **********************************************************************************नीरज कुमार पाठक सेक्टर-1 नोएडा

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