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भारतीय इतिहास मे माँ का नाम काफी आदर और गर्व से लिया जाता है,क्योंकि अगर आपके पास माँ है तो आपको गाड़ी,बंगला आदि की जरूरत नही होती,माँ ही सब कुछ होती है,माँ का ममता रूपी आँचल इतना बड़ा होता है कि अगर बेटा कितना भी बड़ा हो तो माँ के आँचल मे अपना सिर आराम से छिपा सकता है। यह मानव समाज कई प्रकार के लोगो से निर्मित है इसलिए हो सकता है कि कुछ लोगो को माँ की वात्सल्यता न प्राप्त हो सके। हम अपने जीवन मे माँ का नाम कई तरह से लेते है,जैसे कि हम गाय को माँ की तरह पूजा करते है,क्योंकि गाय को गुणों का भंडार माना जाता है।लेकिन गाय को भी कुछ अराजक तत्व काट देते है। इसी प्रकार से एक महिला को इसी भारत भूमि मे लोग माँ की तरह सम्मान देते है,और लक्ष्मी की तरह पूजते है। फिर उसी महिला के साथ छेड़छाड़,बलात्कार जैसी कुकृत्य को अंजाम देते है। भारत मे नदियों की भी पूजा बड़े गर्व से लोग करते है,कहीं-कहीं पर तो नदियों की सुबह-शाम पूजा होती है लेकिन पूजा करने के बाद फिर उसी नदी मे नालो की गन्दगी को डाल देते है,या फिर और तरीके का कचरा सब नदी मे ही गिरा देते है। अब सवाल ये उठता है कि अगर हम महिला,नदी और गाय को माँ की तरह पूजते है तो फिर हम इनके साथ दोहरा मापदण्ड क्यो अपनाते है।************************************** एक महिला का पुरुष की जिंदगी मे बहुत अहम रोल होता है , क्योकि महिला का इस सृष्टि को बढ़ाने मे अहम् रोल होता है। महिला का जीवन जैसे पुरुष के बिना अधूरा है वैसे ही एक पुरुष की जिंदगी महिला के बिना अधूरी है। जैसे एक साइकिल चलाने के लिए बहुत जरूरी होता है दोनो पहियो का सही होना, अगर एक भी पहिया मे कुछ गड़बड़ी आयीं तो समझो की जिस लक्ष्य की तरफ जा रहे है उस लक्ष्य मे विघ्न आना तय है। लेकिन फिर भी मनुष्य महिलाओं का सम्मान नही करता। हर आदमी अपने माँ , पत्नी और बहन का कितना सम्मान करता है लेकिन दूसरी औरत को देखकर वही मनुष्य बदल जाता है। ऐसा क्यों करता है,क्यो दोहरा मापदण्ड अपनाता है।। ****************************************दूसरी बात हमारे देश मे गाय को मानने वालो की है जो आज भी बड़ी संख्या इसकी पूजा करते है और कितने लोग तो गाय का पैर भी छूते है। गाय को हम माँ के समान पूजते है, इसीलिए इन्हें गौमाता कह कर पुकारते है। गाय का इतना सम्मान करने के बाद भी उसकी सेवा सम्मान के हिसाब से नही किया जाता। आज की तारीख मे गाय की देखभाल भी स्वार्थ के पीछे छिप कर किया जाता है। आज गाय को कुछ लोगो के द्वारा काट भी दिया जाता है। जिसको हम क्या कहे,यह क्या ,माँ के साथ दोहरा मापदण्ड नही है।। *****************************************इसी प्रकार से नदियों को लोग , वह चाहे कोई भी नदी हो,उनको माँ की तरह सम्मान करते है इनमे गंगा ,यमुना,सरस्वती विशेष रूप से पूजित है। अन्य कोई भी नदी हो,हमारे मानव समाज के लिये वरदान है। इसमे भी तरह-तरह के लोग प्रत्येक नदी को माँ की तरह पूजते है। लेकिन नदियों के ऊपर इतने भारी पैमाने पर लोगो का विश्वास करने के बाद भी नदियो के साथ लोग दोहरा मापदण्ड क्यो अपनाते है।
****************************************नीरज कुमार पाठक सेक्टर-1 नोएडा
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