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हम अभी भी है ब्यवस्था का गुलाम

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हमारे देश के सैनिक मातृभूमि की रक्षा तो बड़े आसानी से कर लेते है,लेकिन यही देश के रक्षक अपने परिवार की रक्षा करने मे विफल हो जाता है। इस जवान को ड्यूटी से छुट्टी नही मिलती,जिसके कारण वह अपनी बीमार पत्नी से भी नही मिल पाते,एक पुलिस का जवान भी ड्यूटी दर ड्यूटी करते-करते हमेशा के लिए छुट्टी ले लेता है,उसको न तो कोई अवकाश मिलता है और न ही कोई साप्ताहिक अवकाश।
इतना भी छुट्टी नही मिलती है कि ये अपना ठीक ढंग से इलाज करवा सके। इलाज न होने के कारण ये पुलिसकर्मी समय से पहले ही काल के गाल मे समा जाते है।लेकिन हमारा सिस्टम अभी भी गुलामी की जंजीरों मे जकड़ा है,इस गुलामी की जंजीरो से हम आज तक क्यो बाहर नही निकल पा रहे है। जब कि हम 70 वां स्वतन्त्रता दिवस मना चुके है। सवाल ये है कि क्या गुलामी की जंजीर इतनी मजबूत है कि हम तोड़ने मे सफल नही हो पा रहे है,जो इसको तोड़ कर हम ब्यवस्था को बदल सके। एक ठेके का कर्मचारी अपना पेट और अपने परिवार का पेट भरने के लिए दिन-रात एक कर देता है, लेकिन फिर भी वो पेट नही भर पाता और इस जिंदगी को झेलते-झेलते अगर नही झेल पाता, तो वह भी जिंदगी से छुट्टी ले लेता है।इन सब घटनाओ से हमें क्या नही लगता है कि हम अभी भी गुलामी की जंजीरों मे जकड़े है। ********************************
एक सैनिक जो अपने परिवार से काफी दूर रह देश की सेवा मे लगा रहता है ,चाहे जो भी चुनौती आये वह हर चुनौती का सामना करता है। अपने माता-पिता,पत्नी ,बच्चों का त्याग कर अपनी ड्यूटी को निभाता है।लेकिन अगर कभी भी कोई परिवार मे अचानक बीमार पड़ गया तो जब वह सैनिक अपने उस बीमार पत्नी या पिता को देखने के लिए छुट्टी की मांग करता है तो उस सैनिक को छुट्टी नही दी जाती है तब उस सैनिक का धैर्य जबाब दे जाता है और वह फिर वही कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है जो नही उठाना चाहिए,अर्थात वह सैनिक या तो अपने अफसर को गोली मार देता है या फिर खुद अपने को गोली मार लेता है या दोनो काम साथ -साथ हो जाते है। अब ये हमारे सिस्टम की लापरवाही ही कही जायेगी जो सैनिको को तत्काल छुट्टी नही मिल पाती,और वे कुंठित हो जाते है जिसके वजह से उनको आपराधिक कदम उथाना पड़ता है।*************************। इसी प्रकार से प्रदेश की पुलिस भी इन्ही समस्याओं से ग्रसित रहती है। पुलिस प्रशासन भी अपने जवानो से शिफ्ट मे ड्यूटी नही लेता,जिसके वजह से सिपाही ड्यूटी करके थक जाते है। पुलिसकर्मियों को उनके आवश्यकतानुसार उन्हें साप्ताहिक अवकाश नही मिलता ,और जब कोई पुलिस कर्मचारी अवकाश चाहता भी है तो उसको अवकाश नही दिया जाता है। हमेशा ड्यूटी करते -करते भी आदमी निराश हो जाता है,एक समय आता है जब उसको थकावट महसूस होती है,इस थकावट के बाद अगर आराम नही मिलता है तो उस ब्यक्ति के अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है। इसके वजह से ही कितने लोग अवसादग्रस्त हो जाते है। ******************* ये हमारे सिस्टम की लापरवाही ही है जो इन लोगो को झेलनी पड़ती है। अगर हमारे ब्यवस्था मे कमी है तो इसको सुधारा भी जा सकता है। लेकिन कोई भी सरकार इस गुलामी को खत्म नही करना चाहती। जिससे कि सभी लोग सुखमय जिंदगी जी सकें। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक नोएडा *****************************************

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