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ये कैसी विडम्बना

Indian
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अजीब बिडम्बना है कि शेर अगर भैंसे का शिकार करे तो लोग कितने खुश होते है,बड़े गर्व से कहते है कि शेर ने भैंसे को मार डाला,और यही अगर रोड का कुत्ता कही पेड़ के नीचे छिप कर आधी रोटी का टुकड़ा ख़ा रहा है तो इसी समाज के लोग डंडा लेकर दौड़ा लेते है। वो बेचारा बेबस जीव क्या सूखी रोटी भी खाने का हकदार नही है,इतनी आजादी तो उसको मिलनी चाहिए कि न मांस मिले लेकिन कम से कम सुखी रोटी तो समाज खाने दे।लेकिन इसी समाज के लोग इन छोटे लोगो को क्यों नही जीने देते,बड़ा आदमी अगर हजारो करोड़ का घोटाला कर दे तो लोग बड़े सम्मान से कहते है कि अमुख ब्यक्ति ने एक हजार करोड़ का घोटाला किया,इसमे भी सबको ये धनराशि कम लगेंगी। लेकिन वही अगर गरीब आदमी एक हजार रुपये का चोरी करता है ,तो वह जेल की सलाखों के पीछे होता और तब तक जेल मे रहता है जब तक उसकी जमानत नही होती।हमारे देश मे न जाने कितने घोटाले हुये लेकिन आज तक कोई भी सलाखों के पीछे जिंदगी नही बिताया। बड़े लोगो को बस खाना पूर्ति करने के लिये ही जेल मे डाला जाता है वो भी जनता को दिखाने के लिये। जेल मे भी वे पिकनिक की तरह रहते है,आराम के साथ, उनको हर सुविधा जेल उपलब्ध रहती है।**************।***************** भारतीय लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी बिडम्बना है कि बड़ो को ऐश मिल रहा है और छोटे खाने के लिए मर रहे है। कोई पनीर की सब्जी नही पसन्द कर रहा है तो कोई दाल रोटी खा-खा कर मर जा रहा है। जिसके पास अगर हुकूमत का दबदबा है यो उसका लड़का हाईस्कूल पास भी है तो भी उसको किसी न किसी विभाग मे बाबू की नौकरी मिल ही जाती है लेकिन अगर जिसके पास कोई जुगाड़ नही होता, तो उसको प्राइवेट नौकरी भी नही मिल सकती। चाहे वह डबल एमए ही क्यो न किया हो,उसकी किस्मत रोड के कुत्ते से भी खराब हो जाती है। वह फिर जिंदगी मे घुट-घुट कर जीता है,क्योकि हर मनुष्य को जीवन-यापन के लिए धन की जरूरत होती है और अगर धन आदमी के पास नही है तो उसका जीवन ब्यर्थ होता है। आज के युग मे पैसा ही मुख्य होता है,अगर पैसा नही है तो जिंदगी अधूरी हो जाती है। इस तरह से एक पढ़ा-लिखा आदमी भी मृग की तरह विचरण करता है। पहले के समय मे कहा जाता था कि जिस मनुष्य के पास अगर विद्या नही है तो वह धरती पर भार के समान है लेकिन आज के युग मे विद्या नही धन की जरूरत होती है। जब ब्यक्ति के पास धन की अधिकता हो जाती है तो उसको कोई परेशानी नही होती,सब कुछ धन ही होता है।
———————————————————————नीरज कुमार पाठक नोएडा ———————————————————————-

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