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बड़ो तक क्यो नही पहुँचता कानून का हाथ

Indian
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देश के अंदर अगर कानून को बनाया गया तो सिर्फ इसलिये कि अपराध पर अंकुश लग सके,लेकिन देश बड़ा होने के कारण कुछ न कुछ अपराध तो होता रहता है, अपराध होना बड़ी बात नही है लेकिन वास्तविक अपराधी तक पहुँचना ये हमारे लिये सबसे बड़ा सवाल होता है। अगर अपराधी छोटे तबके का है तो उसके ऊपर तो बिल्कुल संविधान के नियमानुसार कार्यवाही हो जाती है,लेकिन अगर अपराधी उच्च पद पर है या फिर देश का सम्मानित व्यक्ति है या फिर धनाढ्य की श्रेणी मे आता है तो उसके लिये हमारा कानून ही छोटा पड़ जाता है,आखिर ऐसा अमीरों के साथ क्यो होता है,क्यो छोटे पड़ जाते है हमारे कानून के हाथ, जबकि सुनने मे हमेशा यही आता है कि कानून के हाथ लम्बे होते है। अब सोचने वाली बात है कि किस परिस्थिति मे कानून के हाथ अपराधी के गले तक नही पहुँच पाते।इसमें दो बाते हो सकती है ,या तो उस अपराधी तक पहुँचने मे कानून के हाथ ही छोटे पड़ जाते है या फिर उस अपराधी का गला इतना मोटा होगा कि कानून के हाथ उसके गले को पकड़ न पाते हो। देश मे भ्रष्टाचार की दीवार के वजह से कानून के हाथ अपराधी तक नही पहुँच पाते,इस कारण अपराध करने के बाद भी अपराधी चैन की बंसी बजाता फिरता है। अपराधी अगर चैन की बंसी बजाता है तो किसके बल पर,उसका बल होता है रुपया। रुपये के बल पर अपराधी खुले आम घूमता है। उसको न तो कोर्ट का डर और न ही पुलिस का डर रहता है,अगर रसूखदार कैदी है तो उसका तो पूछना ही नही। माफ़िया लोग अगर जेल मे पहुँचते है यो पुलिस से लेकर जेल के बन्दी रक्षक तक उस अपराधी के सेवाभगत मे लगे रहते है।जो छोटे कैदी होते है वो भी उन बाहुबली को नमस्ते करते रहते है। बड़े लोग जेल के अंदर रह कर भी एक तरह से जेल के बाहर वाली जिंदगी जीते है। उनके लिए न तो शासन होता है और न नही प्रशासन ,वे जब चाहे जेल से बाहर हो जाये। इस देश के अंदर दोहरा मापदण्ड अपनाया जाता है। एक गरीब आदमी अगर 1000 रुपये की चोरी कर लिया तो उसको 10 साल की सजा हो जायेगी,उस थाने के इंचार्ज भी उस गरीब को जब चाहे गाली देकर उठा लेगा और जेल मे डाल देगा।लेकिन वही बाहुबली लोग करोड़ो का घोटाला कर ले कोई पूछने वाला नही है, न तो उनके लिये कोई कानून होता है और न ही कोई प्रशासन। ऐसे बड़े घोटालेबाज अगर चुनाव लड़ गये तो उनकी ही विधायक या सांसद बनने की भी प्रबल सम्भावना होती है। अगर गलती से चुनाव जीत गये तो फिर पूछना ही क्या,बत्ती लगी गाड़ी मिल जायेगी ,और जो आरोप लगे होंगे सब गलत साबित होंगे। ———————————————————————————————-नीरज कुमार पाठक नोएडा

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