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आंतक का गुरु

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हर पाप का एक न एक दिन अंत अवश्य होता है यह तो निश्चित है,सत्य थोड़ा परेशान जरूर होता है लेकिन पराजित नही होता। जब रावण जैसे योद्धा का अंत हो गया तो क्या आतंक के गुरु का अंत नही हो सकता। अवश्य होगा क्योकि इस बात का इतिहास गवाह है कि ऐसा कोई भी वीर नही है जिसका अंत न हुआ हो। अब चाहे वो अंग्रेजो का शासन हो,मुगलो का शासन हो या फिर कंस का शासन हो,इन सबका अंत जरूर हुआ है।इसी प्रकार से आतंक के गुरु पाकिस्तान का कभी न कभी अन्त अवश्य होगा। ये आतंक के गुरु हमारे देश के लिये ही नही,ये पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश के लिये भी परेशानी का सबब बना है।ये ऐसा देश है जो अपने तो परेशान रहता ही है दूसरों को भी परेशान करता रहता है। अब ऐसा भी नही है कि जो अपने घर मे साँप को पालेगा तो वह साँप पड़ोसी को ही काटेगा ,कभी न कभी तो वह साँप उस पालने वाले को या उसके परिवार वाले को भी काटेगा । पाकिस्तान की सरकार को यह बात समझ मे नही आ रहा कि हम आतंकवाद को बढ़ावा क्यो दे रहे है जो भी देश शांति से जीना चाहते है उनको जीने दे,लेकिन पाक को दूसरे देश के अन्दर आतंक फ़ैलाने मे ही मजा मिलता है।पाकिस्तान की भी अजीब हालत है अपने देश मे अगर आतंकी घटनाएं होती है तो दुखी होता है,लेकिन अगर यही आतंकी घटनाये भारत सहित दूसरे देश मे होती है तो वो मुस्कराता फिरता है। इसकी ये चाल भारत सहित दूसरे पड़ोसी देश के लिये बहुत खतरनाक है।इसको आतंक का गुरु बनाने मे अमेरिका का भी कम हाथ नही है। अमेरिका की पॉलिसी के तहत ही पाकिस्तान आतंक का गुरु बना। अमेरिका विकास कार्य के लिए जो भी धनराशि पाकिस्तान को देता है उस पैसे को पाक ने कभी भी विकास कार्य मे नही लगाया।उसने उस पैसे का हमेशा भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधि मे लगाया। इससे पाक को आर्थिक मदद मिलती रही और उसकी आदत खराब होती रही। दिक्कत ये है कि जब शेर के मुँह खून लग जाता है तो वह हमेशा खून ही खोजता है। जब खून नही मिलेगा तब वह गुर्रायेगा भी। वही पाकिस्तान की भी कहानी है उसको आतंक के रूप मे खून मुँह मे लग चुका है अब ये धन्धा छोड़ने वाला नही है। इसीलिए जब कभी आतंक को बन्द करने के लिये पाकिस्तान को अमेरिका कहता है तो वह गुर्राने लगता है। इसमे पाकिस्तान की गलती नही है इसमे गलती है अमेरिका की,जिसने पाक को आतंक के मुँह मे दाँत निकालने मे सहयोग किया। जब दाँत निकलकर नुकीले धारदार हो गये तो अब उसको कोई न कोई तो काटने को चाहिये। ये आतंकी दाँत इतने तेज हो गए है कि अब अमेरिका को भी चुभने लगे है।अमेरिका को भी ये पता है कि ये दांत मेरे द्वारा ही उगाये गए है,इसलिये अगर ये चुभ रहे है तो सहना पड़ेगा। अब पाकिस्तान का हालत ऐसी हो गयी है कि आतंक करते-करते ये आंतक का गुरु बन गया है। आतंक गुरु बनाने मे अमेरिका का सहयोग और हाफिज सईद की मेहनत को कभी भी पाकिस्तान को नही भूलना चाहिये।। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक नोएडा ———————————————————————-

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