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घटता राष्ट्रवाद,बढ़ता पार्टीवाद

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पहले के समय मे राजनेता वर्ग के लोगो के अन्दर राष्ट्रवाद की भावना कूट-कूट कर भरी थी, सभी दलो के नेता पहले राष्ट्र के बारे मे सोचते थे,उनके लिये राष्ट्र ही सर्वोपरि था। जहां तक अपने देश की बात आती थी वहाँ सभी दल एक सुर मे हो जाते थे,तभी तो एक समय जवाहर लाल नेहरू ने अटल बिहारी बाजपेयी के बारे मे कहा था,कि “ये लड़का एक न एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा।”यह हुआ भी एक बार नही तीन बार देश के प्रधानमन्त्री बने।उसके बाद वही अटल बिहारी बाजपेयी ने इन्दिरा गाँधी को दुर्गा का अवतार की संज्ञा तक दे डाला था।लेकिन आज के समय में अगर ऐसा होता तो कोई भी नेता किसी भी नेता के बारे मे ऐसा नही बोलता। आज के राजनेताओ के ऊपर बड़ा दुख होता है कि कम से कम जहाँ पर देश की बात आती है ,वहाँ तो मुँह बंद रक्खो। अपने घरेलू मामले पर राजनीति करो लेकिन जहाँ देश की शान की बात आये वहाँ पर सभी भारतीय तिरंगे के नीचे मिलने चाहिये। जहां तक देश पर आंच आने की बात हो उस समय राजनीति मत करो। कोई भी पार्टी हो इस समय सब लोग अपनी पार्टी बढ़ाने के चक्कर मे रहते है। इन नेताओ ने अब राष्ट्र को पीछे ,और अपनी पार्टी को आगे कर दिया है।अब सब लोग अपनी पार्टी को चमकाने मे लगे हुये है।आज के समय मे इतनी गन्दी राजनीति दस्तक दे रही है कि अगर सत्ता पक्ष कुछ अच्छा भी कर रहा है तो वे नही कहते कि ये अच्छा काम हुआ।इन लोगो के लिये राष्ट्र बहुत मायने नही रखता ,अगर रखता है तो पार्टी। सवाल ये है कि अगर राष्ट्र को लोग प्राथमिकता पर नही रखेगे तो फिर इस राष्ट्र का क्या होगा,क्योकि हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिये।लेकिन समय का तकाजा कहे या फिर अपना स्वार्थ,इसमे इंसान इस कदर खोता जा रहा है कि वह राष्ट्र को बिल्कुल भूलता जा रहा है। कोई भी पार्टी हो उसको कभी भी नही सोचना चाहिए कि पार्टी हमारे राष्ट्र से बड़ा है। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक नोयडा

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