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आरक्षण का दंश

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आरक्षण को लागू करने का एक उद्देश्य यह था,कि गरीब लोगो का जीवन स्तर को ऊपर उठाया जाय। गरीब लोगो का जीवन स्तर उठाने मे समाज के प्रतिभाशाली बच्चों के लिये आरक्षण एक खतरनाक रूप लेता जा रहा है। आरक्षण रूपी राक्षस समाज मे अच्छाईयां कम बुराईया ज्यादा फैला रहा है। इससे सबसे बड़ा नुकसान शिक्षा, मेडिकल,इंजीनियरिग आदि क्षेत्र मे बहुत ही गलत असर दे रहा है।क्योकि इन क्षेत्र मे जितने भी मेघावी लड़के है इन सबका बहुत ही नुकसान होता है। अगर किसी भी क्षेत्र मे पढ़ाई के लिये अगर एडमिशन लिस्ट जारी होती है और उसमे मेरिट लिस्ट 95 प्रतिशत जाती है तो सामान्य वर्ग का जो लड़का 94 प्रतिशत नम्बर पाता है वह एडमिशन नही ले सकता , लेकिन जिसके सिर पर आरक्षण का हाथ है वह 40 प्रतिशत नम्बर पाकर ही विजेता बन जाता है। अब सामान्य वर्ग मे 94 प्रतिशत का लड़का एडमिशन न पाकर कितना कुंठित होगा,उसकी मानसिक दशा का अनुमान लगाया जा सकता है। इसलिये आरक्षण बिल्कुल सही नही है मेघावी छात्रो के लिये।आरक्षण प्रदत्त लोगो के लिये भी समस्या यह रहती है कि कम पढ़कर डा.बन तो जाते है लेकिन आपरेशन करने की कला का पता नही होता जिससे उस डॉक्टर को भी परेशानी होती है और उस रोगी को तो जान बचना मुश्किल हो जाता है।अगर जब डॉक्टर आरक्षण से बनेगा तो उसमे आत्मविश्वास की भारी कमी होती है।ये लोग कोई क्रिटिकल केस आने पर घबड़ा जाते है और पता चलता है कि कैची आपरेशन के बाद पेट मे ही रह गयी। इसी प्रकार से अगर आरक्षण से इंजीनियर बन गया तो उसको इंजीनियरिग का पूरा अनुभव नही होता ,और पता चलता है कि उसके आरक्षण के कारण पूरा बना पुल भरभरा कर गिर जाता है। इसलिए आरक्षण इन सब क्षेत्रो मे बिल्कुल भी नही होना चाहिए, बाकी अन्य क्षेत्रो मे आरक्षण हो। शिक्षा के क्षेत्र मे भी आरक्षण का काफी गलत असर पड़ रहा है। इस वजह से शिक्षा का स्तर भी काफी नीचे गिरता जा रहा है।————————–इन सब वजहों से आरक्षण का दंश झेलने को मजबूर हो रहे है। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक नोयडा 201301

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