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सोयाबीन की सब्ज़ी

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गोलू ने जमुआई लेते हुये बोला,माँ!फिर वही सोयाबीन की सब्ज़ी। ————————————-माँ ने कहा- बेटा, सब्जी वाला कोई आया नही, इसलिए सब्जी नही ले पायी।————————-गोलू बेचारा किसी तरह से आधी रोटी खाकर ,दो घूंट पानी पिया और बिस्तर पर जाकर सो गया।। —————————————– गोलू की माँ भी क्या करती बच्चे को झूठी तसल्ली तो देनी थी,क्योंकि वो भी अच्छी सब्जी कहाँ से लाती।। ———————————- परिवार मे एक गोलू ,उसकी माँ तथा उसकी बड़ी बहन नैना थी। गोलू के पिताजी जब तक थे तब तक सब सही था लेकिन एक दिन ड्यूटी से आते समय उनकी रोड एक्सिडेंट मे दर्दनाक मौत हो गयी।।————————————– मौत के कारण पूरे परिवार पर मानो पहाड़ टूट पड़ा,जब से उनकी मौत हुई तभी से परिवार की आर्थिक स्थिति नाजुक दौर से गुजरने लगी।– गोलू की माँ के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनो बच्चों को पालने की थी। क्योकि गोलू की आयु पांच वर्ष और नैना की आयु आठ वर्ष थी।इतने छोटी उम्र के बच्चों को पालना भी कठिन काम होता है। गोलू की माँ इन दोनो बच्चों को पालने और पढ़ाने के लिये जी तोड़ मेहनत करती और उनका देखभाल भी करती। किसी तरह अपनी बेटी को उसने कुछ पढ़ाया,और फिर बेटी की शादी के लिए एक घर मे रिश्ता तय कर दिया। लड़की के शादी के बाद गोलू की माँ ने कुछ राहत की साँस ली। अब गोलू भी पढ़ाई करते-करते बारहवीं क्लास मे पहुँच गया,लेकिन उसकी पढ़ाई का खर्च गोलू के माँ के लिये भारी पड़ रहा था। उसने बेटे से कहा बेटा,अब मैं पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ हूँ।——————गोलू और भी टेंशन मे जीवन जीने लगा,अब इस उधेड़बुन मे लगा रहता था कि कही कुछ काम मिल जाये। एक दिन अपने कालेज मे उदास मन से बैठा था कि अचानक एक आदमी आया ,और बोला- बेटा,गोलू क्या सोच रहा है?गोलू ने सिर उठाकर देखा तो बिज्ञान पढ़ाने वाले अध्यापक जी,उसने उठकर गुरुदेव को प्रणाम किया,और आप बीती गुरु जी को बता दी, तो गुरु जी ने कहा कि,बेटा-सोचने से कुछ नही होने वाला ,अगर आगे बढ़ने की तम्मना है,अंदर हौसला है तो तुम सेना मे क्यो नही जाते। इससे अपने दोनो माताओं की रक्षा भी कर सकते हो। वेतन मिलने से तुम्हारी माता का और तुम्हारा जीविका भी चलेंगी,और धरती माँ की रक्षा भी होगी,और इस समय सेना मे भर्ती चल रही है उसमे प्रयास करो,अगर नौकरी मिल गयी तो तुम्हारा और तुम्हारे माता जी का कष्ट खत्म हो जायेगा।————————————- गोलू को गुरुजी की सलाह अच्छी लगी ,तो घर आकर इसने अपनी माँ से बताया ।——————-माँ ने कहा- बेटा,अगर गुरुजी कह रहे है तो एक बार देख लो।——————————————– माँ से अनुमति मिलते ही गोलू के खुशी का ठिकाना नही। मानो उसकी नौकरी लग गयी हो। फिलहाल गोलू ने किसी तरह रात मे खाना खाया,फिर रात मे करवटे बदलते हुए रात काटी ,सुबह होते ही उसने स्नान करने के बाद कुछ जलपान किया उसके बाद पहुँच गया,मिलिट्री भर्ती सेंटर पर। वहाँ पहुँच कर उसने एक-एक परीक्षा पास करने लगा। अंत मे उसने सभी परीक्षा पास कर ली,उसके बाद उसको घर वापस कर दिया गया,इस आश्वासन के साथ कि तुमको सूचना दे दी जायेगी।———–कुछ दिन बितने के बाद एक दिन दरवाजे पर गोलू लेटा हुआ था ,और अपने मन मे सोच-विचार करने मे लगा हुआ था ,कि आवाज आई- गोलू ।————————————————————-गोलू ने पलट कर देखा तो डाकिया———-गोलू ने डाकिया को देखा तो उसके खुशी का ठिकाना न रहा ,वह तेज कदम से डाकिया के पास पहुँचा और लिफाफा खोल कर देखा तो खुशी से पागल हो गया। उसने दौड़ते हुए घर के अंदर पहुँचा,और यह खबर अपनी माँ को बताई,माँ भी इस समाचार से काफी खुश थी।उस लेटर मे लिखा था कि आप,15 दिनों के अंदर सेना मुख्यालय मे आकर रिपोर्ट करो।———————-गोलू ट्रेनिंग के लिए तैयारी करने लगा और एक दिन आ गया कि जब गोलू बैग लेकर घर से निकल गया।—————————————————ट्रेनिंग सेन्टर पर गोलू की ट्रेनिंग शुरू हो गयी,गोलू भी कड़ा मेहनत करके अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद माँ की याद सताने लगी। इसलिये गोलू छुट्टी लेकर माँ के पास पहुँचा।माँ अपने बेटे को सेना की वर्दी मे देखकर काफी प्रफुल्लित थी। कुछ देर के बाद माँ ने बोला-बेटा,स्नान करके आ जाओ। हम खाना निकालते है। गोलू खाना खाने को बैठा,तो उसकी माँ खाना ले कर आई। खाने को देखकर गोलू आश्चर्य से पूछा,माँ!फिर वही सोयाबीन की सब्जी। —————————————————-माँ ने कहा-बेटा,इसी सोयाबीन की सब्जी ने तुमको इतना बड़ा किया है कि तुम सेना मे भर्ती किया है।इसलिए मनुष्य को अपनी औकात मे रहना चाहिये। अपने समय को कभी भूलना नही चाहिये। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक आइसीएआइ भवन सेक्टर-1 नोयडा 201301

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