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हमारे देश मे हर काम का बिरोध करना एक प्रचलन सा हो गया है, जैसे किसी डॉक्टर ने कहा हो कि हर काम का विरोध किया करो। हर ब्यक्ति किसी न किसी काम के लिये प्रयासरत रहता है,परन्तु उसको सफलता मिलती है या नही ,ये उसके कर्म और किस्मत पर भी निर्भर करता है,लेकिन कर्म करना मनुष्य का पहला लक्ष्य होना चाहिये। जो मनुष्य अगर कर्म ही नही करेगा तो उसको सफलता या असफलता से क्या मतलब । क्योंकि कहा भी गया है कि “गिरते है सहसवार ही मैदाने जंग मे, वो क्या गिरे जो घुटने के बल चले”।इसी तरह से रामचरितमानस मे गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा है कि” कर्म प्रधान विश्व रुचि राखा ,अर्थात इन्होंने भी कर्म को ही प्रधान बताया है।लेकिन आज के लोगो की मानसिकता मे क्या हो गया है कि अपने तो कोई काम करना नही चाहता ,अगर कोई कर भी रहा है तो उसका विरोध खड़ा कर देते है।हमारे संस्कारो मे भी विरोध करना आ गया है।। आज के समय मे अगर हम एनएसजी के मामले पर असफल हो गए तो कौन सा पहाड़ टूट गया,जो चीनी प्रेमी गैंग वाले खुशी मना रहे है। अजीब हालात है देश के कि अगर हम एनएसजी के लिए क्वालीफाई नही कर पाये तो कोई बात नही अगले बार प्रयास करेगे। ये तो है नही कि यही अन्तिम अवसर था और अब अवसर नही मिलेंगे,और जब अवसर मिलेगे तब ये हायतौबा करने की जरूरत क्या है।हम एनएसजी मे भले ही न पहुचे हो लेकिन एमटीसीआर का सदस्य तो बन ही गये,ये हमारे लिए कम उपलब्धियां नही है,कि आज की डेट मे चीन और पाकिस्तान अगर एमटीसीआर के सदस्य बनना चाहे तो उनको भारत के दरवाजे से होकर ही जाना होगा। कहने का मतलब ये है कि अगर चीन ने हमको एनएसजी मे रोक सकता तो कोई बात नही ,अब हमारे पास भी चीन को रोकने की क्षमता हो गयी है। इस कामयाबी से भी भारत का बिश्व के पटल पर साख बढ़ गयी। इससे भारत को मिसाइल के क्षेत्र काफी ख्याति मिलेगी,अब भारत भी मिसाइल के बाजार मे अपना सामान अन्य देशो को आराम से बेंच सकता है। — – — —–हमारे बिपक्षी दल वाले एनएसजी के मामले मे मिली असफलता का मजाक उड़ाने मे लगे है उनको ये नही पता कि 48 देशो को मनाना कठिन काम है। कोई भी देश किसी भी देश का गुलाम नही है कि वो मोदी के कहने पर भारत के समर्थन मे वोटिंग कर देगा।आदमी को अपने घर के सदस्य का समर्थन तो मिल नही पाता ,यहाँ 48 देश को मनाना कठिन काम नही है क्या। लेकिन विपक्ष तो विपक्ष होता है।विरोधियों को तो सही काम तो दिखता नही है।अब उनको एमटीसीआर की उपलब्धता नही दिखाई देगी। विरोध करना अच्छी बात है, लेकिन जहा पर राष्ट्रहित की बात है वहाँ पर सबको एक रहना चाहिये,क्योकि विरोध करना सरकार की कमजोरी को दर्शाता है।इसी प्रकार से कबीर दास ने भी कहा है कि “निन्दक नियरे राखिये आँगन कुटिल छवाय”अर्थात जो ब्यक्ति आप की निंदा करे तो उस ब्यक्ति को अपने पास रखना चाहिये। निन्दा करने से ब्यक्ति और मजबूत होता है क्योकि जितना भी ब्यक्ति की कमी बताई जाती है उतना ही आदमी मजबूत होता है।इसीलिये विपक्ष बनाया जाता है कि सरकार के गलत कामो का विरोध करे। लेकिन देश मे मामला गंभीर चल रहा है,यहाँ पर विरोधियो का एक गैंग तैयार है जो केवल बिरोध करना ही सीख लिया है।इसलिए हमको ये कहने मे बिल्कुल गलत नही लगता कि गैंग्स आफ विरोधपुर। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक नोयडा (यूपी ) ——————————————————
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